मेरी ग़ज़लों की चोरी
इंटरनेट ने जहाँ एक ओर लेखकों को ऐसा मंच उपलब्ध कराया है जिसके ज़रिये वे आसानी से अपने विचारों को पाठकों तक पँहुचा सकते हैं वहीं दूसरी ओर इस सुविधा ने बौद्धिक सम्पदा के चोरी किये जाने को भी आसान बना दिया है। बहुत आसानी से लोग Ctrl+C और Ctrl+V का प्रयोग कर सामग्री कॉपी कर लेते हैं और उसे स्वरचित बता कर बेशर्मी के साथ प्रस्तुत करते हैं। इसके कई स्पष्ट उदाहरण पिछले दो दिनों में मेरे सामने आये हैं।
नीचे दिये गये ब्लॉग्स को चलाने वाले व्यक्तियों ने मेरी ग़ज़लों को कॉपी कर अपने नाम से प्रस्तुत किया है:
http://aapkaahsas.blogspot.com/
सारी ही ग़ज़लें / रचनाएँ मेरी हैं
http://vikalpremember.blogspot.com/
पहली दोनों ग़ज़लें मेरी है
http://my.indyarocks.com/blogs/blog_visiterview_main.php?id=54460#blog54460
सारी ही ग़ज़लें / रचनाएँ मेरी हैं
http://kumar-ahesashhitohai.blogspot.com/
पहली पोस्ट में मेरी २-३ ग़ज़लें एक साथ पोस्ट की गयीं है
बहुत बार ऐसा होता है कि किसी को कोई ग़ज़ल या कविता पसंद आती है तो वह व्यक्ति उसे अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर देता है लेकिन रचयिता का नाम देना भूल जाता है। ऐसे लोग इरादतन यह नहीं करते लेकिन उन्हें ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिये; रचना के रचयिता का नाम अवश्य ही रचना के साथ दिया जाना चाहिये। ऊपर दिये गये ब्लॉग्स "ग़ैर-इरादतन की गई ग़लती" की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि इन लोगों ने एक-दो नहीं बल्कि मेरी बहुत-सी रचनाओं को कॉपी किया है। साथ ही इन्होनें कई जगह मेरी ग़ज़लों के मक़्तों में से मेरा तखल्लुस "श्रद्धा" भी हटा दिया है।
इस तरह के कार्यों की निंदा की जानी चाहिये और ब्लॉगर समुदाय को ऐसे लोगो के ब्लॉग्स का परित्याग करने के अलावा और भी कदम उठाने चाहियें जिससे ये लोग शर्मसार और हतोत्साहित महसूस करें।
मैं इस पोस्ट के ज़रिये इन लोगो और इनके ब्लॉग्स को अपने सुधी पाठकों के ध्यान में लाना चाहती थी। इस तरह चोरी के कार्यों से साहित्य का कोई भला नहीं होता और हिन्दी ब्लॉग जगत के प्रति लोगो का विश्वास भी टूटता है।
जिन दोस्तों ने मेरी ग़ज़लों की हो रही चोरी के सम्बंध में मुझे जानकारी दी मैं उनकी शुक्रगुज़ार हूँ।
धन्यवाद
श्रद्धा जैन
64 comments:
खून में ही गद्दारी भरी पडी है ऐसे चोरों के , क्या कर सकते है मगर शेर की खाल पहन लेने भर से गधा शेर नहीं बन जाता इन्हें कौन समझाए !
किसी का साहित्य चुराना
बहुत ही निंदनीय कृत्य है,
मेरी तो एक पूरी पोस्ट ही चोरी हूई थी
शीर्षक समेत, शिकायत पर हटाई गई।
इन ब्लाग पर निंदा करके
इन्हें शर्मशार करना चाहिए।
इन्हे पता चलना चाहिए कि देर ही सही
पर चोरी पकड़ी जाती है।
मैं तो देखकर ताज्जुब हो गया ! एक नहीं, दो नहीं चार ब्लोग्स ऐसे जो आपकी रचनायों को चुराएं हैं ...मतलब और भी हो सकते हैं ...सचमुच ये बहुत दुःख की बात है ... केवल लोगों से वाह वाही पाने के लिए ये लोग कितने निचे उतर गए हैं ... कुछ तो कम उम्र के लड़के हैं जिनसे शायद ऐसी बदमाशी की उम्मीद की जा सकती है ... पर मैं देखकर हैरान हुआ कि इसमें एक जनाब तो बुज़ुर्ग से लगे ... वो भी डटें हुए हैं चोरी करने में ... और तो और ... कोई कमेन्ट करता है तो कितना खुश होते हैं ये लोग ...
सादर वन्दे !
जी इस तरह के कृत्य स्वरचित की नहीं स्वचोरित की श्रेणी में आते हैं| ऐसे लोगों की जीतनी भर्त्सना की जाये कम है |
रत्नेश त्रिपाठी
रचनाओं की चोरी वैसे तो बुरी बात है पर इससे यह भी पता चलता है की आप अच्छा लिखती हैं और आपकी रचनाएँ चुराने लायक हैं.
उन ब्लौगों पर शिकायत करनेपर लगभग सभी मामलों में वे रचना हटा देते हैं और मारपीट की नौबत नहीं आती. आप भी करके देखें.
Chori karke kaabil banane ki koishish kar rahe hain ye saare.....Ma saraswati jo roothi to likhne ke liye haath bhi na bachenge....aapke dil ko thes lagna laazmi hain....lekin ye chor jo nazron mein hi girenge ....to phir kabhi na uthenge
Ham to jaa rahe hai inke blog par sabak seekhane
mere sath bhi kai baar hua...waise ab main apni hi rachna ek baar google pe search kar leta hun...kyunki orkut pe dalne ki wajah se meri kai rachnayein chori hui...waise comment to de diya unko...par choro ka koi iman nahi hota...wokabhi nahi sudharte...aapki chod ke dusre ki churayenge...
इण्टरनेट पर बहुधा यही हो रहा है!
मैं इसकी भर्त्सना करता हूँ!
यह बेहद निंदनीय है। चोरी की रचनाओं को छाप कर ये वैसे भी लोकप्रिय नहीं होने वाले। आप अपना विरोध इनके ब्लॉग पर टिप्पणी कर के भी करें ताकि उन्हें पता लगे कि उनकी चोरी पकड़ी गई है।
आप इन्हे लिखे कि यह तो चोरी है....अगर यह इन पोस्टो को हटा दे तो ठीक है, क्योकि कई बार नये ब्लांगर आकर्षण बनने के लिये इधर उधर से कविताये, गजल उठा कर अपनी प्पोस्ट बना लेते है ओर जान अन्जाने मै ही चोर बन जाते है, आप इन्हे समझाये
blogging ki dunia ne jahan ek aur hume sahaj avivayakti ki aajadi di hain wahi iska durupyog bhi ho raha hai.
kisi ki rachna ko apna batana bilkul galat hai,
dukh hota hai..yeh sab dekhkar!!
ise kahi se bhi uchit nahi kaha ja sakta..ye nindaniya hai!!
blogging ki dunia ne jahan ek aur hume sahaj avivayakti ki aajadi di hain wahi iska durupyog bhi ho raha hai.
kisi ki rachna ko apna batana bilkul galat hai,
dukh hota hai..yeh sab dekhkar!!
ise kahi se bhi uchit nahi kaha ja sakta..ye nindaniya hai!!
किसी की रचना को बिना पूछे अपने ब्लॉग पर लगाना भी निंदनीय कार्य है....पर ये चोरी कैसे रोकी जा सकती है? ताला लगाने पर भी कुछ नहीं हो सकता....अच्छा किया की आपने ये लिंक दिए....
:(
shradda , we are with you dost ... chori kar ke koi likhpadh nahi jaata hai .. just dont worry ji ...
बेशर्म या बदतमीज शब्द तो कम हैं ऐसे लोगों के लिए "बेईमान" शब्द भी छोटा है इनके लिए. लिंक देकर आपने इन्हें सरेआम बेइज्जत किया - धन्यवाद्. अब तो इन्हें चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए
यह बेहद निंदनीय है। चोरी की रचनाओं को छाप कर ये वैसे भी लोकप्रिय नहीं होने वाले।
आपके यहाँ लोग इसे गलत कहेंगे पर जो चोरी करता है उसके यहाँ जाकर वाह वाह करेंगे..
शर्म आनी चाहिए इन चोरो को.. और उन लोगो को भी जो दोहरा बर्ताव करते है..
किसी की रचना को बिना पूछे अपने ब्लॉग पर लगाना भी निंदनीय कार्य है....ऐसे लोगों की जीतनी भर्त्सना की जाये कम है |
बेहद निंदनीय कृत्य
...बहुत शर्मनाक काम है ... लोगों को नहीं करना चाहिये... अगर जरुरत है तो मांग लेने में क्या बुराई है !!!
दुखद
श्रद्धा जी, हमारी ओर से तो बधाई स्वीकार करें...
आपकी ग़ज़लें हैं ही इतनी खूबसूरत...
(कभी कभी तो हमारा भी दिल करता है कोई शेर ही चुरा लें...हा हा हा)
अब संजीदगी से...ऐसे ब्लॉगरों का बेनकाब होना ही उनके लिये सबसे बड़ी सज़ा है.
maine bhi chaury karm ke saath bloging shuroo karane kavi ko fatakaar laagaai hai. naye log hai. bahut samajh hai nahi. galati se usane n to link diyaa hoga n use yah pataa hi hogaa ki mool lekhak kaa naam denaa chahiye. khair aapki ghzale hi itani pyari hai ki kisi bhi uthaaigeer kaa dil aa jayegaa in par. sansakaarvaan to taaareef karenge, lekin choro ki baat aur hai.
श्रद्धा जी ,अगर आपके नाम से आपकी रचना कोई अपने ब्लॉग पर डालता है,तो मैं समझता हूँ इसमें कोई बुराई नहीं है .बड़े शायरों और मशहूर कवियों की रचनाएं उनके नाम से जगह जगह प्रकाशित होती ही रहती है और आपका नाम इन्ही नामों में आता है .अगर कोई इन बातों का उलंघन कर के अपने नाम से ऐसा करता है,तो वो वाकई निंदनीय है.
आपकी रचनाएं कविता कोष,अनुभूति जैसी पत्रिकाओं प्रकाशित होती रहती हैं.
ललित जी से पूर्ण सहमत
इन ब्लाग पर निंदा करके
इन्हें शर्मशार करना चाहिए।
इन्हे पता चलना चाहिए कि देर ही सही
पर चोरी पकड़ी जाती है।
आपका दर्द समझ सकता हूँ, मैम...मेरी ग़ज़लों के साथ भी हो चुका है ऐसा। लेकिन कोई इलाज नहीं है इन कमीनों का....इस अभद्र शब्द के लिये क्षमा चाहूंगा, लेकिन और क्या कहूँ इन जैसों को।
आपकी ये ग़ज़लें मेरी शुरू से फ़ेवरिट रही हैं। एक महाशय ने कितनी निअर्दयता से "श्रद्धा" की जगह अपने नाम का इस्तेमाल कर लिया है ग़ज़ल के शेरों में....चोरी और वो भी खुलकर सीनाजोरी के साथ।
माँ सरस्वति का शाप लगेगा इनको!
चोरी, वो भी ब्लॉग जगत में! यह उन माँ-बाप के संस्कारों का फल है जिन्होंने अपने कपूतों को सभ्यता, ईमानदारी और शराफत के पाठ नहीं पढ़ाए. जिस व्यक्ति की औकात एक पंक्ति भी लिखने की नहीं है, वो दूसरे की मेहनत हड़प करके खुद को खलीफा घोषित कर लेता है और दस चाटुकार उसकी हाँ में हाँ मिलाने को भी उपलब्ध हो जाते हैं.
मैं ऊपर से दो के ब्लॉग पर गया लेकिन अभी तक गजलें वहां से हटाई नहीं गयी हैं. इसका अर्थ यह हुआ चोरी और सीना जोरी का मामला है. हराम की कमाई पर पलने वाले ऐसे दो कौड़ी के लोग बातों नहीं लातों से ही मानते हैं.
श्रद्धा जी, आपकी रचनाओं से ब्लॉग जगत के लगभग ८०% लोग वाकिफ हैं इस लिए आपकी रचनाओं का कुछ बिगड़ने वाला नहीं. हाँ, इस मुहिम से घबराइएगा नहीं, हम सब आपके साथ हैं.
क्या कहें...जब अपना कुछ चोरी जाता है तो क्रोध आना स्वाभाविक है. पर प्रायः कापीराईट जैसी चीजों को लोग नहीं समझते हैं.
आप प्रथम बार विनम्रतापूर्वक उनसे हटाने को कहिये और अपनी सामग्री पर अपना अधिकार बताइये.
यदि हटा लें तो संभव है कि उस व्यक्ति ने अनजाने से चोरी कर ली है. और चोरी की समझ नहीं है.
पर यदि न हटाये तो फिर कड़ी चेतावनी दी जा सकती है.
फिर उचित कारवाई करनी चाहिए, यहाँ तक कि ब्लॉग भी डिलीट करवाया जा सकता है.
आपने बहुत ही अच्छा किया कि इस बात को लेख के द्वारा पूरे ब्लॉग जगत को बताया.
धन्यवाद.
आशा करते हैं कि उस व्यक्ति को समझ आ जाए और वह सामग्री हटा दे.
जो भी है वह भैया हटा लें तो बेहतर होगा.
ऐसा ही हो रहा है हमारे साथ भी । कोई तरकीब निकालो इस प्रकार की चोरी रोकने की। हम निंदा करते हैं ऐसे चोरों की।
http://chokhat.blogspot.com/
khed ka vishay hai ...
निंदनीय कृत है।
आपने सही कहा ऐसी चोरियों से किसी का कुछ हाँसिल नही होता .... हां लिखने वाले के मन को ज़रूर ठेस लगती है ....
यह घोर घृणित कर्म है,इसकी जितनी भी निंदा की जाय कम है.
Shraddha ji-
You should give link of your blog in his Blog, so that readers will come to know that these ghazals are written by you.
श्रद्धा जी,
यह बहुत ही शर्मनाक हरक्कत है...
आपकी पोस्ट आज मैंने पढ़ी और मैं तुरंत ब्लॉग वाणी को contact किया है, वैसे तो ये मसला ऐसा है जिसमें ब्लॉग वाणी बहुत सीमित ही कुछ कर सकता है...अगर ये ब्लोग्स ब्लॉग वाणी से जुड़े हुए हैं तो वो उनको तुरंत निरस्त कर देंगे...बस आपको एक ईमेल भेजना है उनको ..ये सारे लिनक्स आप उस ईमेल में डालिए और अपना भी लिंक दीजिये जो यह बताता है कि ये सारी रचनाएँ आपकी है...बस इतना ही आपको करना है....
लेकिन अगर ये ब्लॉग ब्लॉग वाणी से नहीं जुड़े हैं तो ...फिर वो कुछ नहीं कर सकते हैं...
yah toh dukhad hai ... padhane likhane wale hi ye karenge .. bahut sharmnaak hai ye .
बहुत गलत बात है. इसका विरोध होना चाहिये. दुख हुआ जानकर.
sad.. aur kush se sahmat..
यहाँ तो आप पीछे रह गई श्रद्धा जी...अपनी कहानियाँ तो तीन साल पहले से ही चोरी होना शुरू हो गई थी .... :-)
इस कृत्य की जितनी भी निंदा की जाए....कम है
ऐसे किसी भी कार्य की निन्दा करता हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
चोर नहीं, डाकू बसते हैं यहां.
really shameful!
आप ब्लॉगर.कॉम (जहाँ इनके ब्लॉग होस्टेड हैं) को एब्यूज रिपोर्ट कर सकती हैं. लिंक यह है -
http://www.google.com/support/blogger/bin/request.py?page=main_tos
चोरी के अलावा अन्य कारणों की वजह से भी ब्लॉगर.कॉम को रिपोर्ट की जा सकती है. विवरण है -
Report a Terms of Service Violation
One of the hallmarks of Blogger is the importance of freedom of speech. Blogger is a provider of content creation tools, not a mediator of that content. We allow our users to create blogs, but we don't make any claims about the content of these pages, nor do we censor them. However, Blogger has standards and policies in place to protect our users and the Blogger network, as well as to ensure that Blogger is complying with all national, state, international, and local laws.
Please select the type of violation that you'd like to report:
Defamation/Libel/Slander (Learn more.)
Copyright/Piracy issues
Spam (Learn more.)
Nudity (Learn more.)
Hate or violence (Learn more.)
Impersonation
Someone is posting my private information
I think someone else is using my account
It is shameful.
I hope the thieves are reading this post and these comments and I wish and hope sanity prevails.
ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है श्रद्धा जी. पिछले साल अर्कजेश जी की भी दो पोस्टें एक ब्लॉग पर चुरा के डाली गईं थीं.
हैरानी की कोई बात नहीं है.......चोरी कई प्रकार की होती है .....एक ऐसी चोरी जो बिलकुल ज्यू का त्यु उठा कर की जाती है ...पूर्व में भी लोगो ने कई बार पूरे के पूरे कंटेंट उठाये थे .....मेरी दो पोस्ट जिसमे इमोशनल अत्याचार ओर जानेमन ......थी एक साहब ने उठा ली थी .उन तक पहुँचने पर उन्होंने ब्लॉग डिलीट कर दिया .......एक ओर मोहतरमा प्रसिद्ध कवियों ओर लेखको के गीत ओर गजल उठा कर डालती रही है .....दूसरी चोरी आपके स्टाइल की भी होती है .....जिसमे लोग आपके तरीके से लिखना शुरू करते है .......सच कहूँ तो रवि रतलामी जी ने एक दम सही मुद्दा उठाया है......मै तो इस पेज को ही उनके कमेन्ट के कारण बुक मार्क करके रख रहा हूँ .....
At Copyscape you can try searching for copies of your blog posts. May be that can help!
yahan par ek baat jo ham kahna chahenge ...ki agar rachnaye chura kar web mein kahin bhi rahti hain to pakdi jaayengi.....ham shayad us blogger ko delete bhi karwaa dein....lekin zara sochiye....agar hamari rachnao mein her-fer karke unka bazarikaran kar diya jaaye aur wo market mein khoob chal bhi jaaye to ham kya karein ? Is sambhavna se inkaar nahi kiya jaa sakta....ham sab ko milkar koi thos kadam uthana hi chahiye
अन्तरजाल पर बहुधा आजकल यही देखने मे रहा है!
ye aap ne bahut hi gambhiir mudde ko udhaya hai, koi bhi rachna likhne wale ki pahchhan hoti hai, us se woh bahut had tak dil se juda hota hai . uski chori hojane ka matlab hai uska dil toot jana.
hum sab ko mil kar aise logoon ki ninda karni chahiye jo aisa paap karte hain. aur unko bhii sonchna chahiye churane ke wajaye apna kuchh likheen tabhii maza ayeega.
बहुत ही दुःख हुआ यह देखकर की रचनाकार अपनी सोच को रचना में ढलता है और कुछ चोर उसे चुरा कर अपना नाम दे देते हैं. यानि अब हममे से किसी की रचना सुरक्षित नहीं है.
निंदनीय कृत्य है और दंडनीय भी. श्रेय न देने की प्रवृत्ति को हर हाल में हतोत्साहित करना चाहिए. निश्चय ही ऐसे 'प्रशंसक' भावुकतावश चोरी नहीं करते हैं. वे आपका अधिकार छीन रहे हैं !
Chor saale...
Pata nahi inko lagta hai ke pata nahi lagega...
Google karte hi aapka blog aa jayega... :)
hmm...
aapne meri bhi aankhein khol di...
mujhe bhi chk karna padega ki kaheen koi meri bhei rachnaayein chura ke apne naam se naa prakashit kar raha ho....
बहुत ही निंदनीय कृत्य है ये ....पर शायद इसे वही कर सकता है जिसका जमीर मर चुका हो ...
पर इसका कोई आधार नहीं है ...चोरी बहुत जल्दी पकड़ी भी जाती है ....इसका एक ही उपाय है copyright
चोरी हुई ...इसका मतलब आपकी ग़ज़लों में कुछ बात है .....अब इतन अच्छा लिखोगे तो चोरी तो होगा ही ..( ठिठोली :) ) ......एक बार फिर यही कहूँगा की बहुत शर्मनाक हरक़त है ....अच्छा किया आने इन्हें बेनकाब करके...अगर ऐसा अब हो तो आप हमें फिर सूचित करे
are yah to aashchry janak baat hain
isase unhe kyaa laabh hoga
is tarah rachnaao ki chori kar apane naam se chhaapana
jurm hi hain
kishor
निंदनीय
श्रद्धाजी,
बहुत शर्मनाक है यह । जानकर अफसोस हुआ। ब्लाग में मैं नया हूं और बहुत सी मषरूफियतों के चलते बहुत ज्यादा वक्त ब्लाग खोलने देखने पढ़ने में नहीं लगा पाता ..बहुत सी चीजों का तकनीकि सलीका भा नहीं है।
इसलिए आपके ब्लाग में यह जानकर लानत मलामत के सिवा कुछ और कहने के हालात में नहीं हूं
वो चाहे कुछ भी चुराए !!! आपके चाहने वालो का प्यार कभी नहीं चुरा सकते श्रद्धा जी
!!!
इंसान फूल चुरा सकता है पर उनकी महक नहीं इसलिये जो आपका है वो आपका ही रहेगा
ऎसा भी हो सकता है...? शर्म की बात है..उन लोगों के लिये जो ऎसा करते हैं..रचना ज़रूरी है..चरना नहीं..!
मेरी दृष्टि में कविता की \ सृजन की\ बौद्धिक सम्लादा की चोरी सामान्य चोरी से अधिक निंदनीय है पर यह होता रहा है | कविता लिखना सब चाहते हैं क्योंकि इससे एक अलग पहचान बनती है पर यह कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है | इसीलिए लोग चोरी करके अपना रौब ग़ालिब करना चाहते हैं | सदियों पहले महाकवि बिल्हण ने भी इसकी शिकायत करते हुए लिखा था -- " काव्यार्थ चौरा बहुली भवन्ति "। चिब्ता न करें लिखती रहें चोर अपने आप सामने आ जायेंगे। कहावत है न कि चोर के पैर नहीं होते । कोई आपकी प्रतिभा नहीं ले सकता यह याद रखें ।
Post a Comment