रब अता करे
आदरणीय गुरु प्राण शर्मा जी की सलाहियतों के बगैर ये ग़ज़ल पूरी होना संभव नहीं था
उनके इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए मैं जीवन भर अभारी रहूंगी
हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे
Beh'r = 1212 x 4
53 comments:
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे
wahhh
bade hi hasin khayalat hain di
aise log kismat vale hi hote hain
aur ye thi ek badhiya gazal
congrats
हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
श्रद्धा दीदी
बहुत बढ़िया रचना . बधाई.
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
1 pyar ka ehsas ....
bhut khub sharda ji....
as always ......
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे...
bahut achchhi gahzal, pyaare ehsaason se bhari hui....
bahut khoob....
बेहद खूबसूरत रचना है
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे
==
बहुत मासूम है ये रचना
वाह
बस एक बात - मुग्ध हो गया श्रद्धा जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे...
बेहद खूबसूरत.
atisundar .......our kya kahe .....ek ek panktiyan nagine hai..
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
ati sundar rachna
हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
बहुत बढिया
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
आइने शब्द ने जहां भावों को गहराई अता की है वहीं
सोच की ऊंचाइयों ने इसे खूबसूरती अता की है,बधाई
श्याम सखा श्याम
... प्रसंशनीय गजल, बधाईंयाँ !!!
बेहतरीन.... वाहवा..
"मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे"
umda sher...bahut achchhi rachna lagi..
bhagwaan aap ki manokamna puri kare....
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
Wahhh....
Bahut Kgobb aur utna hi khoobsurat andaaz.......
वाह श्रधा जी वाह क्या खूब ग़ज़ल कही है आपने ग़ज़ल पितामह के छाँव के तले ,... मतला जिस कमाल की बात से आपने कही है वो तो अलग से दाद मांग रहा है इस पे करोडो दाद खड़े होकर बेलेलान ...मगर एक ये शे'र उफ्फ्फ्फ़ ... क्या खूबसूरती से कही है आपने क्या शरारत रखी है क्या नजाकत है क्या मासूमियत है ... वाकई..गौर करें आप भी...
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे
कमाल कर दिया आपने थोडा जल्दी जल्दी आया करें आप...
आपका
अर्श
Hamesha ki tarah shaandaar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Bahut hi marum chhipa hai aapki is.....Gazzal me.
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
क्या खूब है आपकी ग़ज़ल........... खिलता हुवा गुलाब जैसे......... प्राण जी का निखार इसमें चार चाँद लगा रहा है
बहुत खूब श्रधा जी क्या बात है ,,, वैसे तो आप की हर रचना में ही ,,
बहुत गहराई होती है और शब्दों का सयोंजन भी आप बहुत खूब करती है ,,
पर आप की इस गजल ने मेरा मन मोह लिया अद्भुद है ,,
ये शेर तो बहुत खूब बन पड़ा है ,,
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
मैं नत मस्तक हूँ
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल!
wah shradha ji, sabhi sher dil ko chhote hue.
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
bachpan ki yaad dilata masoom sher wah.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने ! हँसना और हँसाना कुदरत की बहुत बड़ी नियामत है श्रृद्धा जी ! किसी के ओठों पर मुस्कान ला देना इबादत है ,आपके दो शेर इसी हँसी पर केन्द्रित हैं !
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे
किसी के अकेलेपन को अपनी हँसी में समेटनेवाले औरउसके ओठों पर हँसी देखकर निहाल हो जाने वाले की कल्पना को बेहद खूबसूरती से बयां किया है आपने ! आपके इस विचार पर मुझे अपनी ग़ज़ल का एक शेर याद आ रहा है !
" ज्ञान कमाया जो रट रट कर , पुण्य कमाए जो डरकर , उसकी एक हँसी के आगे वे सब के सब न्यौछावर "
हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
wah!!!bade dino bad aap ko eshtara romantic andaz mai padha hai...
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे
wahhh !!! kya bat hai....
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पढ़ुँ, तो एकटक तका करे...
बेहद खूबसूरत.
wahh aap ke andaz to ahut pasand aaya ....!!!
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
इस शेर में आपने जो जो चित्र खींचा है उसके क्या कहने. वाह! पूरी ग़ज़ल शानदार है.
"हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे।"
तुमसे ये इल्तिजा है मेरी साहब-ए-खुदा,
हाफिज मुआफ करना, मेरा दिल ख़ता करे।
शेर के लिए गुस्ताखी माफ करे।
आपकी बहुत बढ़िया मज़ल है।
Beautiful Poetry !!
Happy Friendship day.....!! !!!!
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
wah !!! bahut khoob...
Dil se nikali masum abhivyaktiyan...khubsurat bhav.
फ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!आप लिखती रहो यूँ ही....हम दुआ करें.....!!आप दुआ करो सबके लिए.....हम आपके लिए दुआ करें...!!इन शब्दों से खिल जाएँ सब तरफ़ फूल ही फूल.....खिजां में फिर जो होता है किसी की बला से हुआ करे....!!
जिस ग़ज़ल में हर शेर में मोती पिरोये गये हो उस ग़ज़ल के क्या कहने...........
हर शेर एक से बढ़ कर एक.
रब आपकी ख्वाहिसें पूरी करे......................
एक अच्छी और ह्रदय को छू जाने वाली रचना पर हार्दिक बधाई.
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
रेशमी ज़ज़बात शब्दों में पिरो दिए हैं आपने...
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...वाह..वाह
अनुभूति के स्तर पर हर शेर बेहद प्रभावित करता है !
दिल खुश हो गया जी !
शुभकामनाएं
आज की आवाज
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
-बहुत बढ़िया रचना .खूबसूरत.
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
bahut hi khoobsurat rachna hai...
SHRDDHA JAIN JEE EK UBHARTEE HUEE
GAZALKARA HAIN.UNKEE JITNEE GAZALEN MAINE PADHEE HAIN,SABKEE SAB MUJHE ACHCHHEE LAGEE HAIN.GAZAL
KAHNE KAA UNKAA APNA ANDAAZ HAI,
BAHUT HEE ANOOTHA AUR PYARA.UNKEE YE GAZAL BHEE ANOOTHEE HAI,PYAAREE
HAI AUR DIL KO CHHOTEE HAI.
BHAVISHYA MEIN SHRDDHA JEE BAHUT
ASHAAYEN HAIN.UMDA GAZALEN UNKEE
LEKHNI SE NIKLENGEE.MEREE SHUBH
KAMNAYEN.
Are abhi apne kuchh naya post nahin kiya...koi bat nahin, fir aungin.
पाखी की दुनिया में देखें-मेरी बोटिंग-ट्रिप !!
adbhut
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे
shradha ji
bahut hi acchi gazal aur bahut se bhaav liye hue .. dil ko chooti hui ...
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे...
Flawless !!
aapke blog main pehli baar aaiya hoon.(Via orkut)
blog accha laga...
almost saari ghazal padh daali....
...aap acchi ghazal likhti hain pran sharma ji ke aashjirvaad se.
मुश्किल बहर पे बेमिसाल ग़ज़ल
और ये शेर चुरा कर ले जा रहा हूँ किसी के वास्ते
"हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे"
बेहतरीन ...!!!!
हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये “श्रद्धा” जानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे
बहुत बढ़िया रचना . बधाई.
Sabhi rachnayen stabdh kar detee hain! Kaash..kaash..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
bahut hi prabhaavkaari.......ati sundar
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES
मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे
achhe khayaalaat ,
achhi raahnumaai ,
achhi peshkaari ,
bahut achhi gzl ,,,,
badhaaee .
---MUFLIS---
sharadha ji bahut umda likhti hain aap...khyal behad umda hai. likhti rahiye....
beautiful................................
हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे
श्रद्घा जी ,
ये शे'र इतना ज्यादा पसंद आया...कह नहीं सकता...
अब दूसरी गजल ना पढ़ी जायेगी...
फिर आयेंगे...
kai sari kaivtayen aur gazal padhi mujhe bahut achhi lagi
राजा और प्यादा में अंतर करता है जग
हर इक को इक कद में रखता है आईना
आगाज़ ग़ज़ल का कर ही दो अब “श्रद्धा” तुम
उलझा-उलझा मुझको दिखता है आईना
bahut bahut khuub
हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
bahut sundar
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