Wednesday, May 13, 2009

क्या ख़ला हो जाएगा

मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा

जब दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ीं
गर बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

आरज़ू थी मेरे दामन में भी खिलता एक फूल
और गर ये ही न हो तो, क्या ख़ला हो जाएगा

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा

2122/2122/2122/212

68 comments:

नीरज गोस्वामी May 13, 2009 at 8:02 PM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

वाह श्रधा जी वाह...आप किता खूबसूरत और सहज भाव से लिखतीं हैं की पढ़ कर दिल खुश हो जाता है...हर शेर अपने आपमें बहुत कुछ कहता है और ज़िन्दगी के अलग अलग रंग दिखता है...सच्चाई बयां करता है...मेरी तहे दिल से बधाई स्वीकार करें...
आप से एक ही शिकायत है की आप अपनी पोस्ट का इंतज़ार बहुत लम्बा करवाती हैं...जल्दी जल्दी लिखा कीजिये...
नीरज

"अर्श" May 13, 2009 at 8:04 PM  

बिदिशा की बेटी को इस ग़ज़ल के लिए क्या बधाई और दाद दूँ समझ नहीं आरहा है...बहोत ही खूबसूरती से कही गयी है ये ग़ज़ल... और खास कर ये शे'र तो बस उफ्फ्फ ...

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
...

ढेरो बधाई इस ग़ज़ल के लिए ....

अर्श

Mohinder56 May 13, 2009 at 8:09 PM  

सुन्दर भावभरी गजल
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

वाकई बहुत अच्छे शेर कहे हैं आपने

कुश May 13, 2009 at 8:31 PM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
ये शेर तो मैं ले जा रहा हूँ.. कमाल लिखा है.. इसे कहते है कम बैक विद ए बैंग

अमिताभ मीत May 13, 2009 at 8:37 PM  

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

बहुत अच्छे शेर. अच्छी ग़ज़ल. बधाई.

डॉ .अनुराग May 13, 2009 at 8:59 PM  

अरसे बाद आमद हुई....कहाँ थी आप ? ये शेर अच्छा लगा

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

sanjiv gautam May 13, 2009 at 9:22 PM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
बहुत खूब! कलम में ताकत हो बात दूर तक जाती है. यूं ही गज़ल की ताकत में इज़ाफा करती रहें.
संजीव्

समयचक्र May 13, 2009 at 9:25 PM  

मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा
बहुत बढ़िया रचना . काफी दिनों पढ़कर आज बहुत अच्छा लगा . श्रध्दा दीदी जी . आभार.

सुशील छौक्कर May 13, 2009 at 9:29 PM  

इतने दिनों के बाद? किधर व्यस्त है आजकल आप? खैर ग़ज़ल पसंद आई। हर शेर जमकर लिखा गया है।
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

वाह क्या कहने।

अविनाश वाचस्पति May 13, 2009 at 9:30 PM  

सच बतलायें हमें नहीं मालूम कि ख़ला का क्‍या अर्थ है
वैसे आप छिपी रुस्‍तम निकलीं श्रद्धा जी
अब आपको जाहिर रुस्‍तम कहने को जी चाहता है

बहुत अच्‍छी जल से परिपूर्ण।

अविनाश वाचस्पति May 13, 2009 at 9:32 PM  

सच बतलायें हमें नहीं मालूम कि ख़ला का क्‍या अर्थ है

वैसे आप छिपी रुस्‍तम निकलीं श्रद्धा जी
अब आपको जाहिर रुस्‍तम कहने को जी चाहता है।

बिस्‍लेरी जल से परिपूर्ण।

रंजू भाटिया May 13, 2009 at 10:07 PM  

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

बहुत खूब श्रद्धा .बहुत कुछ कह रहा है यह शेर .फूल मुस्कराए यही दुआ है मेरी ...इतने दिनों बाद तुम्हारा लिखा पढ़ा अच्छा लगा

दिगम्बर नासवा May 13, 2009 at 11:01 PM  

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

वाह...........क्या ग़ज़ल कही है...कितनी आसानी से इतनी गहरी बात.....बातो बातों में ही कितना कुछ कह दिया.........लाजवाब हर शेर ......बहूत ही शशक्त और प्रभावी लिखा है

गौतम राजऋषि May 14, 2009 at 1:47 AM  

इतने दिनों से कहाँ थी मैम? आज ही ये ग़ज़लपकी अपने मेल में भी पढ़ी इ-कविता में....
बहुत सुंदर और खास कर इस शेर पर तो जितनी दाद दूं कम है "दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर/तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा"

बशीर साब की इसी जमीन पर की ग़ज़ल याद हो आयी...वो सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा वाला

और मक्‍ता भी खूब बना है।

थोड़ा जल्दी-जल्दी आया कीजिये

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर May 14, 2009 at 1:53 AM  

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
श्रद्धा जैनजी

आपकी कविताऐ-ग़ज़ल- शे'र तो मैने बहुत बार पढकर आनन्द लिया। पर आज टीपणी करने से अपने आप को रोक नही पाया।

आपकी रचित कविताओ-गजलो- शेरो मे मे कुछ अलग ही बात होती है। मुझे अच्छा लगा।

हार्दिक मगल भावनाओ सहित-आभार

महावीर बी सेमलानी "भारती' ( जैन)
हे प्रभुश तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर

संगीता पुरी May 14, 2009 at 2:07 AM  

बहुत सुंदर ..

pallavi trivedi May 14, 2009 at 2:34 AM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
waah ji waah....kya baat hai.aanand aa gaya.

वीनस केसरी May 14, 2009 at 2:34 AM  

बहुत खूबसूरत
सारे शेर अच्छी कहन के और कसी हुई गजल है

वीनस केसरी

mehek May 14, 2009 at 2:37 AM  

waah bahut sunder

Udan Tashtari May 14, 2009 at 8:37 AM  

मेरी कमेन्ट कहाँ गई!!

योगेन्द्र मौदगिल May 14, 2009 at 10:26 AM  

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल.... बेहतरीन.. श्रद्धा जी, बधाई.... और हां आपने बताया था कि आप जून में भारत आ रही हैं... तो कब..?

vijay kumar sappatti May 14, 2009 at 2:28 PM  

shardha ji ,

namaskar
deri se aane ke liye maafi chahunga

kya khoob likha hai aur specially ye sher to kamaal ka hai ..

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

is padhkar hi apne aap par ek yakin sa hone lagta hai ..

wah , badhai kabool karen ..

vijay

Abhi May 14, 2009 at 4:24 PM  

Swagat hai,
I m Abhi Jain
Kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

ललितमोहन त्रिवेदी May 14, 2009 at 6:36 PM  

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
बहुत खूब श्रृद्धा जी ! बड़े दिनों बाद लिखा ,पर बहुत अच्छा लिखा ! निरंतरता बनाये रखें तो ऐसी भावभीनी रचनाओं से वंचित न रहना पड़े !

Yogesh Verma Swapn May 14, 2009 at 6:39 PM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा


wah shradha ji, sabhi sher lajawaab, dheron badhai.

Udan Tashtari May 14, 2009 at 7:27 PM  

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

--वाह!! दिल से उठी गज़ल..बहती हुई.

आनन्द आ गया..हर शेर खूब कहा!! बधाई.

shyam gupta May 15, 2009 at 1:29 AM  

वाह श्रिद्धा जी, क्या खूब कहा है ,

बहकें जो साथ साथ तो महकी रहे ये ज़िन्दगी,
मस्ती में झूमते चलें,चलती रहे ये ज़िन्दगी ।

visit my blog -the world of my thoughts - shyamsmriti & saahityshyam

daanish May 15, 2009 at 10:06 PM  

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

बहुत ही खूबसूरत
और अर्थपूर्ण ग़ज़ल कही है आपने
हर शेर अपने आप में
सम्पूर्णता की तरफ इशारा करता है .....
बधाई ...
और शुक्रिया भी . . . . .

---मुफलिस---

rajesh singh kshatri May 16, 2009 at 6:16 PM  

सुंदर ...
बहुत सुंदर ...

manu May 17, 2009 at 2:32 AM  

श्रद्धा जी,
एक एक शेर को आपने नए अंदाज में तराश कर पेश किया है,,,,,

वाकई आपकी कलम में जान है,,,

Vinay May 18, 2009 at 2:37 AM  

bahuy achchhi ghazal hai, aap se bahut kuchh seekhane ko milta hai...

thanks

Alpana Verma May 18, 2009 at 12:12 PM  

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा

Waah! Shraddha ji..yah sher sab par bhari hai..

bahut sundar gazal kahi hai aap ne..pasand aayi.

Kavi Kulwant May 18, 2009 at 1:30 PM  

bahut khoob..

Jagdish Jindal May 18, 2009 at 2:26 PM  

Waah shraddha bahut khoob.. main aapki shayri apni site(Just4Dosti.com) par post kar raha hun, ummeed hai aap bura nahi maanengi. SF kyon band kar di, mujhe samajh nahi aaya, will u help me.

* મારી રચના * May 19, 2009 at 6:15 PM  

लाए थे दुनियाँ में क्या तुम, लेके तुम क्या जाओगे
ये महल, ये रिश्ते-नाते, सब जुदा हो जाएगा

wah shraddha, bahut umda Gazal hai, btw tumhe award diya hai, chk my post Award

Prem Farukhabadi May 19, 2009 at 8:40 PM  

sundar rachna. badhaai.

NEER May 19, 2009 at 11:11 PM  

bhut khub sharda ji.... as always.....

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

bhut sahi kha apne ..... dil ki dooriya kabahi na bad sakti.........

(sorry 4 lt comments )

satish kundan May 20, 2009 at 1:06 PM  

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा ....बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति,कभी मेरे ब्लॉग पर आयें आपका स्वागत है

(M)Knows May 20, 2009 at 1:07 PM  

Jise aarzoo hai ki khile ek phool ushe daman me,
Khilne par, kuch ho ya na ho, mera man hara ho jayega.

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ May 20, 2009 at 10:06 PM  

बहुत खूबसूरत अशआर के लिए बधाई.

इतने दिनों बाद?
कहाँ रह गईं थीं आप?

Prakash Badal May 20, 2009 at 11:05 PM  

41 टिप्पणियों के नीचे मेरी टिप्पणी के क्या मायने श्रद्धा जी लेकिन आपका फैन तो हो ही गया। :D

Mumukshh Ki Rachanain May 21, 2009 at 2:25 AM  

रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा

वर्तमान में तो रोज़ ही लोग तिल - तिल कर मर रहे हैं इसलिए तो न रिश्ते-नाते, न ज़र, न ज़मीं ही बची है किसी के पास.....................

चन्द्र मोहन गुप्त

गर्दूं-गाफिल May 21, 2009 at 3:07 AM  

रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा


कई दिनों से सोच रहा हूँ इक पैगाम तुम्हे लिख दूं
अल्फाजो में उलझ गया इस कलम के नाम पे क्या लिख दूं

गोरैया ने दिया मशवरा मेरा आकाश उसे दे दो
खुशबू दे कर कहा फूल ने दुआ तमाम तुम्हें लिख दूं

gunjesh May 21, 2009 at 3:54 AM  

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
bdhai kaise dun jabki janta hun is sher ka aarth.........bas dua hai ki ye aakhri khala ho ....

gunjesh May 21, 2009 at 3:54 AM  

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
bdhai kaise dun jabki janta hun is sher ka aarth.........bas dua hai ki ye aakhri khala ho ....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' May 24, 2009 at 6:20 PM  

बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति....

Sajal Ehsaas May 25, 2009 at 10:47 PM  

ek lambe break ke baad is blog par likhi gayee ye bheegi ghazal bahuta chhee hai :)

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

ye line sabse achhee lagee

Dr. Amar Jyoti May 26, 2009 at 4:17 PM  

'आप चलना इक कदम तय फ़ासला हो जायगा।'
बहुत ख़ूब!

निर्झर'नीर May 26, 2009 at 4:58 PM  

wahhhhh

aapka lekhan star bahot uncha ho gaya hai..bandhaii swikaren

Unknown May 27, 2009 at 11:50 PM  

बस एक शब्द बेहतरीन.....कुछ और नहीं

Unknown May 27, 2009 at 11:53 PM  

बस एक शब्द "बेहतरीन"......कुछ और नहीं

Servesh Dubey May 28, 2009 at 4:22 PM  

आपके कविताओं मे वो विशालता है
हर कोई पपने को उसमे तलाशता है


अति उत्तम

neelima garg May 30, 2009 at 7:29 PM  

reading ur blog first time ...good
gajals..

anshuja June 2, 2009 at 5:53 PM  

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा


bahut khoob!!!!!!

Dileepraaj Nagpal June 9, 2009 at 12:48 AM  

Bahut Khoob. Aapke gajhal Ki Taarif M Mere Paas Shabd Nahi Hain. Badhayi

!!अक्षय-मन!! June 11, 2009 at 1:39 AM  

KAI DINO SE AANA NAHI HUA ISKI MAAFI CHAHUINGA..........
AUR AAPKI IS GAZAL KA EK-EK SHER BHAVPURN HAI..........
AAP BAHUT HI ACCHA LIKHTI HAIN ISME KOI DORAAI NAHI HAI.........

अक्षय-मन

Unknown June 13, 2009 at 6:19 PM  

Awesume ghazala.. i hope i shall be a regular visitor to ur site.

Consider visiting mine to

http://themilliondreams.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) June 13, 2009 at 11:57 PM  

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा





yeh line dil ko chhoo gayi.......


bahut khoobsoorat likha hai apne

Ankit June 25, 2009 at 3:27 PM  

नमस्कार श्रधा जी,
क्या बात बहुत दिनों से आपने कोई पोस्ट नहीं लगाई, मन बेचैन हो उठा तो सोचा आपसे से ही पूछ लूं.
बेहतरीन ग़ज़ल है, हर शेर अपने एक दास्तान है.
इंतज़ार है आपकी अगली रचना का.

Om Sapra June 30, 2009 at 3:00 AM  

shradha ji,
your "Kaya khala ho jaeega" and other poems are very good.
congratulations,

-om sapra, delhi-9
9818180932

प्रकाश गोविंद July 1, 2009 at 3:08 PM  

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

जब दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ीं
गर बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा

एक-एक पंक्ति लाजवाब
आशा और उम्मीद से भरी बेहतरीन रचना !
जीवन को सही और गहरे मायने देती पोस्ट


मेरी शुभकामनाएं !

DHEERAJ KUMAR "DHRUV" July 5, 2009 at 9:25 PM  

"KYA KHALA NAHI" NAMAK GAZAL KA HAR EK SHER MUJHE BEHAD PASAND AAYA.
AAPKO APNE BLOG ME GAZAL LIKHNE KE LIYE BAHUT BAHUT SHUKRIYA. MAI AAPKA PRASHANSAK..........

Ahmad Ali Barqi Azmi July 6, 2009 at 9:42 PM  

है श्रद्धा जैन की ग़ज़लोँ मेँ हुसने ज़िंदगी
कैफो सरमस्ती तग़ज़्ज़ुल फिक्रो फन की चाशनी
अहमद अली बर्की आज़मी

Neeraj Kumar July 6, 2009 at 9:46 PM  

मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा

Very true...and challenging...

Abhijit July 8, 2009 at 8:18 PM  

man se likhi hui sundar ghazal..badhai

Akhil July 9, 2009 at 5:43 PM  

shraddha ji,
aaj pahli baar yahaan aaya aur aapki rachnayen padhi. laga ki yaha to pahle hi aa jana chaiye tha..kher der ayad durast ayed...is gazal ka to ek ek sher kabile dad hai...kisi ek ko chunna doosre ke saath nainsaafhi hogi...bas ......badhai ho..

निर्झर'नीर September 23, 2009 at 6:13 PM  

khoobsurat har sher mein kashish
bahut hi sundar or bhavpoorn gazal likhi hai

bandhaii

kavi kulwant November 28, 2009 at 6:41 PM  

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Kulwant singh
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