क्या ख़ला हो जाएगा
मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा
जब दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ीं
गर बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
आरज़ू थी मेरे दामन में भी खिलता एक फूल
और गर ये ही न हो तो, क्या ख़ला हो जाएगा
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
2122/2122/2122/212
68 comments:
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
वाह श्रधा जी वाह...आप किता खूबसूरत और सहज भाव से लिखतीं हैं की पढ़ कर दिल खुश हो जाता है...हर शेर अपने आपमें बहुत कुछ कहता है और ज़िन्दगी के अलग अलग रंग दिखता है...सच्चाई बयां करता है...मेरी तहे दिल से बधाई स्वीकार करें...
आप से एक ही शिकायत है की आप अपनी पोस्ट का इंतज़ार बहुत लम्बा करवाती हैं...जल्दी जल्दी लिखा कीजिये...
नीरज
बिदिशा की बेटी को इस ग़ज़ल के लिए क्या बधाई और दाद दूँ समझ नहीं आरहा है...बहोत ही खूबसूरती से कही गयी है ये ग़ज़ल... और खास कर ये शे'र तो बस उफ्फ्फ ...
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
...
ढेरो बधाई इस ग़ज़ल के लिए ....
अर्श
सुन्दर भावभरी गजल
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
वाकई बहुत अच्छे शेर कहे हैं आपने
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगाये शेर तो मैं ले जा रहा हूँ.. कमाल लिखा है.. इसे कहते है कम बैक विद ए बैंग
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
बहुत अच्छे शेर. अच्छी ग़ज़ल. बधाई.
अरसे बाद आमद हुई....कहाँ थी आप ? ये शेर अच्छा लगा
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
बहुत खूब! कलम में ताकत हो बात दूर तक जाती है. यूं ही गज़ल की ताकत में इज़ाफा करती रहें.
संजीव्
मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा
बहुत बढ़िया रचना . काफी दिनों पढ़कर आज बहुत अच्छा लगा . श्रध्दा दीदी जी . आभार.
इतने दिनों के बाद? किधर व्यस्त है आजकल आप? खैर ग़ज़ल पसंद आई। हर शेर जमकर लिखा गया है।
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
वाह क्या कहने।
सच बतलायें हमें नहीं मालूम कि ख़ला का क्या अर्थ है
वैसे आप छिपी रुस्तम निकलीं श्रद्धा जी
अब आपको जाहिर रुस्तम कहने को जी चाहता है
बहुत अच्छी जल से परिपूर्ण।
सच बतलायें हमें नहीं मालूम कि ख़ला का क्या अर्थ है
वैसे आप छिपी रुस्तम निकलीं श्रद्धा जी
अब आपको जाहिर रुस्तम कहने को जी चाहता है।
बिस्लेरी जल से परिपूर्ण।
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
बहुत खूब श्रद्धा .बहुत कुछ कह रहा है यह शेर .फूल मुस्कराए यही दुआ है मेरी ...इतने दिनों बाद तुम्हारा लिखा पढ़ा अच्छा लगा
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
वाह...........क्या ग़ज़ल कही है...कितनी आसानी से इतनी गहरी बात.....बातो बातों में ही कितना कुछ कह दिया.........लाजवाब हर शेर ......बहूत ही शशक्त और प्रभावी लिखा है
इतने दिनों से कहाँ थी मैम? आज ही ये ग़ज़लपकी अपने मेल में भी पढ़ी इ-कविता में....
बहुत सुंदर और खास कर इस शेर पर तो जितनी दाद दूं कम है "दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर/तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा"
बशीर साब की इसी जमीन पर की ग़ज़ल याद हो आयी...वो सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा वाला
और मक्ता भी खूब बना है।
थोड़ा जल्दी-जल्दी आया कीजिये
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
श्रद्धा जैनजी
आपकी कविताऐ-ग़ज़ल- शे'र तो मैने बहुत बार पढकर आनन्द लिया। पर आज टीपणी करने से अपने आप को रोक नही पाया।
आपकी रचित कविताओ-गजलो- शेरो मे मे कुछ अलग ही बात होती है। मुझे अच्छा लगा।
हार्दिक मगल भावनाओ सहित-आभार
महावीर बी सेमलानी "भारती' ( जैन)
हे प्रभुश तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
बहुत सुंदर ..
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
waah ji waah....kya baat hai.aanand aa gaya.
बहुत खूबसूरत
सारे शेर अच्छी कहन के और कसी हुई गजल है
वीनस केसरी
waah bahut sunder
मेरी कमेन्ट कहाँ गई!!
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल.... बेहतरीन.. श्रद्धा जी, बधाई.... और हां आपने बताया था कि आप जून में भारत आ रही हैं... तो कब..?
shardha ji ,
namaskar
deri se aane ke liye maafi chahunga
kya khoob likha hai aur specially ye sher to kamaal ka hai ..
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
is padhkar hi apne aap par ek yakin sa hone lagta hai ..
wah , badhai kabool karen ..
vijay
Swagat hai,
I m Abhi Jain
Kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
बहुत खूब श्रृद्धा जी ! बड़े दिनों बाद लिखा ,पर बहुत अच्छा लिखा ! निरंतरता बनाये रखें तो ऐसी भावभीनी रचनाओं से वंचित न रहना पड़े !
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
wah shradha ji, sabhi sher lajawaab, dheron badhai.
गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
--वाह!! दिल से उठी गज़ल..बहती हुई.
आनन्द आ गया..हर शेर खूब कहा!! बधाई.
वाह श्रिद्धा जी, क्या खूब कहा है ,
बहकें जो साथ साथ तो महकी रहे ये ज़िन्दगी,
मस्ती में झूमते चलें,चलती रहे ये ज़िन्दगी ।
visit my blog -the world of my thoughts - shyamsmriti & saahityshyam
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
बहुत ही खूबसूरत
और अर्थपूर्ण ग़ज़ल कही है आपने
हर शेर अपने आप में
सम्पूर्णता की तरफ इशारा करता है .....
बधाई ...
और शुक्रिया भी . . . . .
---मुफलिस---
सुंदर ...
बहुत सुंदर ...
श्रद्धा जी,
एक एक शेर को आपने नए अंदाज में तराश कर पेश किया है,,,,,
वाकई आपकी कलम में जान है,,,
bahuy achchhi ghazal hai, aap se bahut kuchh seekhane ko milta hai...
thanks
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
Waah! Shraddha ji..yah sher sab par bhari hai..
bahut sundar gazal kahi hai aap ne..pasand aayi.
bahut khoob..
Waah shraddha bahut khoob.. main aapki shayri apni site(Just4Dosti.com) par post kar raha hun, ummeed hai aap bura nahi maanengi. SF kyon band kar di, mujhe samajh nahi aaya, will u help me.
लाए थे दुनियाँ में क्या तुम, लेके तुम क्या जाओगे
ये महल, ये रिश्ते-नाते, सब जुदा हो जाएगा
wah shraddha, bahut umda Gazal hai, btw tumhe award diya hai, chk my post Award
sundar rachna. badhaai.
bhut khub sharda ji.... as always.....
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
bhut sahi kha apne ..... dil ki dooriya kabahi na bad sakti.........
(sorry 4 lt comments )
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा ....बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति,कभी मेरे ब्लॉग पर आयें आपका स्वागत है
Jise aarzoo hai ki khile ek phool ushe daman me,
Khilne par, kuch ho ya na ho, mera man hara ho jayega.
बहुत खूबसूरत अशआर के लिए बधाई.
इतने दिनों बाद?
कहाँ रह गईं थीं आप?
41 टिप्पणियों के नीचे मेरी टिप्पणी के क्या मायने श्रद्धा जी लेकिन आपका फैन तो हो ही गया। :D
रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा
वर्तमान में तो रोज़ ही लोग तिल - तिल कर मर रहे हैं इसलिए तो न रिश्ते-नाते, न ज़र, न ज़मीं ही बची है किसी के पास.....................
चन्द्र मोहन गुप्त
रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा
कई दिनों से सोच रहा हूँ इक पैगाम तुम्हे लिख दूं
अल्फाजो में उलझ गया इस कलम के नाम पे क्या लिख दूं
गोरैया ने दिया मशवरा मेरा आकाश उसे दे दो
खुशबू दे कर कहा फूल ने दुआ तमाम तुम्हें लिख दूं
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
bdhai kaise dun jabki janta hun is sher ka aarth.........bas dua hai ki ye aakhri khala ho ....
आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ न हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा
bdhai kaise dun jabki janta hun is sher ka aarth.........bas dua hai ki ye aakhri khala ho ....
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति....
ek lambe break ke baad is blog par likhi gayee ye bheegi ghazal bahuta chhee hai :)
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
ye line sabse achhee lagee
'आप चलना इक कदम तय फ़ासला हो जायगा।'
बहुत ख़ूब!
wahhhhh
aapka lekhan star bahot uncha ho gaya hai..bandhaii swikaren
बस एक शब्द बेहतरीन.....कुछ और नहीं
बस एक शब्द "बेहतरीन"......कुछ और नहीं
आपके कविताओं मे वो विशालता है
हर कोई पपने को उसमे तलाशता है
अति उत्तम
reading ur blog first time ...good
gajals..
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
रिश्ते-नाते, ज़र, ज़मीं, फीके लगेंगे ये सभी
मौत से जिस दिन भी, तेरा सामना हो जाएगा
bahut khoob!!!!!!
Bahut Khoob. Aapke gajhal Ki Taarif M Mere Paas Shabd Nahi Hain. Badhayi
KAI DINO SE AANA NAHI HUA ISKI MAAFI CHAHUINGA..........
AUR AAPKI IS GAZAL KA EK-EK SHER BHAVPURN HAI..........
AAP BAHUT HI ACCHA LIKHTI HAIN ISME KOI DORAAI NAHI HAI.........
अक्षय-मन
Awesume ghazala.. i hope i shall be a regular visitor to ur site.
Consider visiting mine to
http://themilliondreams.blogspot.com
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
yeh line dil ko chhoo gayi.......
bahut khoobsoorat likha hai apne
नमस्कार श्रधा जी,
क्या बात बहुत दिनों से आपने कोई पोस्ट नहीं लगाई, मन बेचैन हो उठा तो सोचा आपसे से ही पूछ लूं.
बेहतरीन ग़ज़ल है, हर शेर अपने एक दास्तान है.
इंतज़ार है आपकी अगली रचना का.
shradha ji,
your "Kaya khala ho jaeega" and other poems are very good.
congratulations,
-om sapra, delhi-9
9818180932
दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
आप चलना इक कदम, तय फासला हो जाएगा
जब दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ीं
गर बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा
ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तो “श्रद्धा” हौसला हो जाएगा
एक-एक पंक्ति लाजवाब
आशा और उम्मीद से भरी बेहतरीन रचना !
जीवन को सही और गहरे मायने देती पोस्ट
मेरी शुभकामनाएं !
"KYA KHALA NAHI" NAMAK GAZAL KA HAR EK SHER MUJHE BEHAD PASAND AAYA.
AAPKO APNE BLOG ME GAZAL LIKHNE KE LIYE BAHUT BAHUT SHUKRIYA. MAI AAPKA PRASHANSAK..........
है श्रद्धा जैन की ग़ज़लोँ मेँ हुसने ज़िंदगी
कैफो सरमस्ती तग़ज़्ज़ुल फिक्रो फन की चाशनी
अहमद अली बर्की आज़मी
मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा
Very true...and challenging...
man se likhi hui sundar ghazal..badhai
shraddha ji,
aaj pahli baar yahaan aaya aur aapki rachnayen padhi. laga ki yaha to pahle hi aa jana chaiye tha..kher der ayad durast ayed...is gazal ka to ek ek sher kabile dad hai...kisi ek ko chunna doosre ke saath nainsaafhi hogi...bas ......badhai ho..
khoobsurat har sher mein kashish
bahut hi sundar or bhavpoorn gazal likhi hai
bandhaii
contact me immedaitely..
Kulwant singh
09819173477
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