अच्छी है यही खुद्दारी क्या
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे मीठी खारी क्या
64 comments:
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
-वाह, क्या बात है. आनन्द आ गया.
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
bahut sunder shradha ji wah wah karne ko dil karta hai. badhaai
प्रिय बहन श्रद्घा
सादर प्रणाम
बहुत दिनों से आपसे बात नहीं हुई। आपकी यह रचना बहुत ही अच्छी है क्या मैं इसे अपनी पत्रिका में प्रकाशन के लिए उपयोग में ले सकता हूं।
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथा चक्र
please visit--
http://katha-chakra.blogspot.com
बहुत उम्दा श्रद्धा जी "गद्दारी क्या"। कह गए आप वाक़ई बात कह गए। अहा !
है श्रद्धा जैन की बेहद हसीँ भीगी ग़ज़ल
जिसके एक एक शेर पर जाता है मेरा दिल मचल
उनके अंदाज़े बयाँ मेँ है नेहायत सादगी
गर्दिशे हालात पर यह तबसेरा है बर महल
डा अहमद अली बर्क़ी आज़मी
विदेश प्रसारण सेवा
आकाशवाणी, नई दिल्ली
कैसे कहूँ ’वाह’ कि सिर्फ वाह से तो काम चलेगा नहीं....
गज़ब का मतला और इस शेर पर "जो दर्द छुपा के हंस दे हम/अश्कों से हुई गद्दारी क्या"
तालियां तालियां तालियां
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
बहुत...बहुत ही बढिया
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
छोटी बहर की शानदार गजल। बधाई
WAH SHRADDHA JI BAHUT HI ACHHI GAZAL LIKHI AAPNE..!!
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
waah bahut hi khubsurat gazal
वाकई मेरे पास शब्द नहीं है, तारीफ के लिये
बहुत बहुत ही अच्छा
गज़ब का लिखा है आपने
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
waah! bahut khuub!
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
bahut behtreen aur umda gazal kahi aapney.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
वाह !! बहुत सुंदर...
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
" बेहतरीन.....कुछ बात तो है इस शेर मे......मन भा गया.."
regards
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
वाह श्रधा जी वाह...छोटी बहर में ग़ज़ल कहना बहुत मुश्किल होता है लेकिन आपने अपने हुनर से इसे कितना आसन बना दिया है...लाजवाब शेर और बेहतरीन ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई आपको...
नीरज
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
बहुत सुंदर गजल लिखी है आपने श्रद्धा
एक एक शेर अंदर तक गहरा उतरा है.. बहुत ही उम्दा..
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
ये शेर खास पसंद आया .इत्तिफकान खुद्दारी पे ही मैंने एक त्रिवेणी लिखी है आज ..
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे मीठी खारी क्या.......
bahut sahi,aur bahut achhi
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
La-jawaab.. वाह श्रद्धा जी, वाह......
चंद शब्दों बहुत गहरी बात कह दी।
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
वाह, बहुत खूब।
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
its true sharda dear..
sacha pyar nhi hai aajkl
bhut achi lagi aapki yeh poem
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
bas do hi shabd kah sakte hain "wah-wah."
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे मीठी खारी क्या
आपकी इस गजल में कितने दर्द छुपे है ...जो कुछ कुछ सच कह रहे है . कुछ तो लोगो की मानसिकता से जुड़े सवाल है . बधाई
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
dil ko chhune wali rachna...
Bahut Bahut Badhai....
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
सुंदर एहसास को समेटे गहरी भावनाएं
sabhi sher achche lage...badhai.
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : चिठ्ठी लेकर आया हूँ कोई देख तो नही रहा हैबहुत अच्छा जी
आपके चिठ्ठे की चर्चा चिठ्ठीचर्चा "समयचक्र" में
महेन्द्र मिश्र
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
सुंदर अद्भुत ...........! मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
http://manoria.blogspot.com
बेहतरीन ग़ज़ल है। लाजवाब अशा'र और छोटी बहर में। बधाई हो।
महावीर शर्मा
ग़ज़ल में बात कहने में 'रिस्क' ये है कि कहीं 'लिबास' जिस्म से हसीं हो जाता है,कहीं 'जिस्म' लिबास से ।आपकी ग़ज़ल में दोनों का 'बैलेंस' अच्छा लगा।
"ve deh ke bhooke kya jaane ,
ye pyaar wafaa dildaari kya.."
gehri aur saadiq soch ki
tarjumaani karti hui ek umda gazal
mubarakbaad . . . .
---MUFLIS---
श्रृद्धा जी !अवनीश के ऑरकुट से यूँ ही उत्सुकतावश आपके ब्लॉग पर चला आया ,पर यहाँ तो खजाना ही खुल गया !आपकी कई ग़ज़ल पढ़ी ! बहुत अच्छा लिखती हैं आप !ख़यालात और कहन दौनों ही मुकम्मल है !बहुत खूब !बधाई !
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे मीठी खारी क्या
------ har shaabd aapni he pahchaan liye huey hai jo kissi ko bhi aapne mai samet le ,,,
,, shaayad lafzo ki aawaz nahi hoti par andaaz bahut hotey hai ,,
..
होली की आपको और आपके परिवार में समस्त स्वजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ!
sundar aur sateek.
मैने पहने है कपड़े, धुले आज फिर
तोहमते अब नई कुछ लगा दीजिए
आपके ब्लॉग पर अचानक नजर पडी
ठिठक गया मन कुछ पल रुकी घडी
डूबने का हुनर आता है डुबाने का भी
यूँ ही करते रहो अपनी लकीर बडी
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
....बहुत खूब !
होली की अनंत असीम व रंगीन शुभकामनाएं..........
pustak mili ya nahi..?
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
बहुत खूब श्रद्धा जी !!!!!!!!
बेहद प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है, शुभकामनाएँ !!!!!
niceeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
मतलब है, छुपाया भारी क्या
बहुत सुन्दर भाव हैं....
Bahut aacha likha hai Di aapne... do u rember me .. I am Puneet from Delhi...shyed yaad ho ...kais ehai aap.
hi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?
expressing our feelings in our own mother tongue is a great experience...so it is our duty to save, protect,popularize adn communicate in our own mother tongue...
try this, www.quillpad.in
Jai...Ho....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...बधाई !!
___________________________
गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!
नव संवत्सर २०६६ विक्रमी और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
क्या बात है!!!
आनन्द आ गया
सच्चाई है ये ज़िन्दगी की !!
नजरिया है ये नज़रों का !!
यही ज़िन्दगी है बहोत खोब लिखा है
श्रद्धा ji
छोटी बहर में सुन्दर गजल।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
वे देह के भूखे क्या जाने
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे मीठी खारी क्या
...dil ko chhuti hain panktiyan.
वा ,.....वे देह के भुखे क्या जाने प्यार वफादारी क्या......क्या खूब कहा आपने........
वे देह के भूखे क्या जाने,
ये प्यार वफ़ा दिलदारी क्या|
बहुत ही अच्छा!लाजवाब शेर |मेरे पास शब्द नहीं है, तारीफ के लिये......
मैनें आप का ब्लाग देखा। बहुत अच्छा लगा।आप
मेरे ब्लाग पर आयें,यकीनन अच्छा लगेगा और अपने विचार जरूर दें।प्लीज....हर रविवार को नई ग़ज़ल,गीत अपने तीनों ब्लाग पर डालता हूँ।मुझे यकीन है कि आप को जरूर पसंद आयेंगे....
प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों से हुई गद्दारी क्या
गजल का चौथा शेर, हाशिले गजल है। मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।
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खुशियों का विज्ञान-3
एक साइंटिस्ट का दुखद अंत
Very nice...!!
Bahot achi kavita he !!
wah bahut khoob didi
didi maine i'l launched 2 website a technical website plz visit didi..
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अरे वाह, क्या बात है। खुददारी के बहाने बहुत प्यारी गजल पढवा दी आपने।
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SBAI TSALIIM
वाकई में आप ने एक खूबसूरत गजल पेश की है....
aadarneeyaa shradhaa ji ,
aapko e kavitaa main padhaa hai mainey ...mainey tab bhee kahaa thaa aap bahut acchaa likhtee hain ...aaj phir dohraa rahi hoon ..har ek sher dil kee karun awaaj hai ....
saadar
sujata
Kuch un nigaahon ka kusur tha, Kuch mera surur tha,
Un be-baak nigaahon se koi na bach k reh saka||
Daali jo nazar teri gazal pe humne,
Har gazal me laga hai lafzon ne gehna pehan liya|
Kehar ki Laakh nigaahon ki tumhe Zarurat kya hai,
Luft Ki ek nigaahe-Naaz He na Jeene Degi humko||
निगाहों से बचने के लिए निगाहें थीं निगहबान ,
निगाहें निगाहों से लड़ी दिल पे बना निशाँ ||
अच्छी है यही खुद्दारी क्या
रख जेब में दुनियादारी क्या
बढिया
अच्छी है यही खुद्दारी क्या रख जेब में दुनियादारी क्या ये शेर खास पसंद आया .इत्तिफकान खुद्दारी पे ही मैंने एक त्रिवेणी लिखी है आज ..
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