कितना है दम चराग़ में
कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
फानूस = काँच का कवर
लेता हैं इम्तिहान अगर, सब्र दे मुझे
कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले
नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है
अब कौन लेके झंडा –ए- अमनो-वफ़ा चले
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
खंजर लिये खड़ें हों अगर मीत हाथ में
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले
Bh'r 2212-1211-2212-12
52 comments:
अच्छा लिखा हैं श्रद्धा जी ,नवीन वर्ष की बधाई
कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
atyant sundar ,prashansa ko shabd nahin hain.
खंज़र लिए खड़े हो गर, हाथों में दोस्त ही
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ, फ़िर क्या दुआ चले
bahut hi lajawab.bahut khoob.
नया साल आपके लेकर ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आए
इंतजार खत्म हुआ।
खंज़र लिए खड़े हो गर, हाथों में दोस्त ही
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ, फ़िर क्या दुआ चले
अद्भुत।
नववर्ष की आपको और आपके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं।
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
bahut hi badiya. man ko chho lene wali gajal.
mere blog(meridayari.blogspot.com) var bhi visit karen.
श्रधा जी सबसे पहले तो आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव वर्ष की ढेरो बधाई और मंगलकामनाएँ..
अरसे बाद आपको एक खुबसूरत और मुक्कमल ग़ज़ल के साथ पढ़ने का मौका मिला बहोत ही खुबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने सुंदर सी काफिये और बेहतर रदीफ़ के साथ ....ढेरो बधाई कुबूल फरमाएं...
इस साल के आखिरी ग़ज़ल पर आपका भी मेरे ब्लॉग पे ढेरो स्वागत है ...
अर्श
लेता हैं इम्तिहान गर, तो सब्र दे मुझे
कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले
क्या बात है .... गज़ब है ...
"क़दम क़दम पे जहाँ बेशुमार रहबर हैं
मुसाफ़िरों को वहाँ किस पे ऐतबार आए ?"
बहुत अच्छा शेर .. उम्दा ग़ज़ल ...
Wishing you a Very Happy New Year !!
अच्छा लिखा हैं श्रद्धा जी
नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना . नया साल ढेरो खुशियाँ लेकर आये .
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
क्या बात है...साल के अंत में लाजवाब ग़ज़ल...वाह..वा...
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
नीरज
उफ्फ्फ्फ्फ!!!!...कहर बरपा रहा है ये मतला तो...
सारे शेर लाजवाब हैं मैम,,,खास कर "खंज़र लिए खड़े हो गर, हाथों में दोस्त ही / “श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ, फ़िर क्या दुआ चले"
और नये साल की करोड़ों शुभकामनायें आपको.ईश्वर करे ये जबरदस्त लेखनी आपकी यूं ही हमें पूरे साल बेमिसाल गज़लों से मिलवाती रहे...
खंज़र लिए खड़े हो गर, हाथों में दोस्त ही
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ, फ़िर क्या दुआ चले
बहुत शानदार बन पड़ा है| सभी शेर एक से बढ़कर एक| नए साल पर बधाई|
मेरा ब्लॉग भी देखें| धन्यवाद|
मत झुलसाना न भरमाना
हर घर में खुशियाँ दे आना
आए तो स्वागत नवल वर्ष
अबके आँसू मत दे जाना !
ओ नवल वर्ष ओ धवल वर्ष
शिशु सा आकर्षण ले आना
आप की आमद का शुक्रिया...
जब नज़रिया ही अच्छा हो तो लफ्ज़ भी अच्छे लगने लगते हैं
आप की ग़ज़ल बहोत उम्दा है, ख्याल में रवानी है और पुख्तगी भी....
हर शेर असरदार बन पडा है...
मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ !
" राहे-वफ़ा में चल ही पड़े हैं जो अब क़दम ,
चलता है साथ-साथ कोई हादसा, चले !"
---मुफलिस---
नए साल की शुभकामनाय साथ ही अक्षय का प्यार भरा नमन स्वीकार करें....
काफी समय बाद लिखा आपने और कमाल का लिखा बहुत ही प्रभावशाली हैं सारे के सारे शेर....
बताओ तुम वहां क्या दुआ चले,....ये बहुत ही शानदार है....
अक्षय-मन
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
आप बहुत अच्छा लिखती हैं श्रद्धा। बहर-मीटर सब को ध्यान में रखते हुये, सही गज़ल। वाह!
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!
श्रद्धा जी
इस शेर ने पूरी गजल का लुत्फ़ अकेले दे दिया ......
कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
सुभान अल्लाह .....
jitni taarif kee jaaye kam hai.
gazal kahna aata gaya.....
Bahut khubshurat avivyaqti, khash karhe ye dono
कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
खंज़र लिए खड़े हो गर, हाथों में दोस्त ही
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ, फ़िर क्या दुआ चले
Kam shabdo me bahut gahri baat. Very nice.
बढ़िया ग़ज़ल। संतोष की बात कि आपने मीटर भी सुझाया है। मुझे मीटर का तो पता चलता नहीं लेकिन आपका कथ्य इतना बढिया है कि मैं वाह के सिवा कहूं तो क्या कहूं। नए साल की आपको शुभकामनाएं।
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल है
---मेरे पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम पर आपका सदैव स्वागत है|
bahut khoobsoorat gazal hai, pahla sher to lajawab hai.
Ye aapki sabse acchi gazalo mein se ek hai , aakri sher lajawab hai ..mujhe gazal likhna nahi aata , par aapki gazalen padkar khush ho jaata hoon.
badhai
shradda ji , hamen to aap bhool hi gayi , mere blog par aap aati hi nahi ho ..
vijay
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लेता हैं इम्तिहान गर, तो सब्र दे मुझे
कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
खूबसूरत शेर कहें हैं आपने, बधाई।
Behtareen.............
नमस्कार श्रद्धा जी,
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है आपने.
आज का दिन ऐतिहासिक है (क्योंकि) मैं आपके ब्लाॅग पर आया हूँ।
दरअसल......
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
(और बधाई भी देता चलूं...)
बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति बहुत गहरे भावः भरी है आपकी ग़ज़ल
shraddha, orkut mai to ye padh liya lekin socha yaha bhi aap ko itni sundar rachna ke liye abhinandan dedu.. bahut hi badhiya likhti ho...
naye saal ki badhaai...aur saath hi is ghazal ke liye bhi badhai..pehla sher bahut pasand aaya
मेरी कामना है की आपके शब्दों को नई ऊंचाइयां और नए व गहरे अर्थ मिलें और विद्वज्जगत में उनका सम्मान हो.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर एक नज़र डालने का कष्ट करें.
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सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़लें
कहती हैँ आप
यह तो मैँने आज ही आपके ब्लॉग पर आ कर पढ़ा
:
नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है
अब कौन लेके झंडा –ए- अमनो-वफ़ा चले
नव वर्ष के लिए
आपको मेरी शुभकामनायें
WAH BAHUT HI SUNDAR GAZAL LIKHI HAI AAPNE.. BADHAAYI
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
...........
बहुत ही अच्छी लगी है रचना
kuchh bikhre hue alfaaz ko aapki paarkhi nazaron ka intzaar hai...
---MUFLIS---
मैम कहां हैं?बड़े दिन बीते...अब तो एक ताजी गज़ल हो जाये
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
आप सिंगापुर में.....हम रांची से हाथ हिला चले......
इक मुकम्मल ग़ज़ल पर कलम को घिसा चले.....
कभी लगे ना आपके हर्फों को हमारी नज़र....
भूतनाथ जी यहाँ से ये चले...वो चले....!!
श्रद्धा जी बहुत ही हूब्सुरत और वजनदार ग़ज़ल है, मतला बहुत ही शानदार बन पड़ा है.
कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
kya baat hai..purmaani khayal
aap to jani mani kaviyatri ho gayii umen bhi shagird bana lo.
Shraddha ji, namaskar,
Aaj pahali bar aapka blog dekha aur ghazalen padin. aap bahut sunder ghazalen likhati hain. Sabse badi baat yah hai ki aapko bahar ka bhi gyan hai, jiske karan ghazal ki kahan men char chand lag gaye hain.bahut bahut bahut badhai. Nav varsh ki shubh kamanaaon ke sath.
लिखना सभी को आता है । शायद लिखना सभी चाहते है । लेकिन चाहत का क्या लिखना उन्ही को आता है जो लिखने का हुनर जानते है । आपकी लेखनी का क्या तारीफ करूं समझ में नही आता है । बहुत खूब
अरे....नए साल में कुछ नहीं लिखा अभी तक !!!
इतना विराम ठीक नहीं श्रद्धाजी...
शुरू हो जाइये फिर से...
आप की ग़ज़ल की क्या तारीफ करूँ और किस शेर की। बहर पित वज़्न में कही गई ऐसी ग़ज़ल जिसमें कथ्य बहुत ही बढिया है वाह वाह वाह
Shraddha ji,
ab aapki kaise tareef karu, mere ko to lavz nahin mil rahe, jin me aapki lekhni ki tareef kar sakoon...
fir bhi
1) aapka blog itna sundar hai, I am feeling jealous.
2) Mujhe aaj tak beher samaj me nahin aya, but behar me likhi hi gazals hi sundar hoti hain, aapki poetry padh kar samaj me a raha hai
3) The way you have written Bhigi gazal in purple color, is very beautiful...Amazing...YOu are not only a good poet, but an amazing artist also..
4) The number of comments that you have got on your poems is an clear indication of the quality of your creations.
5) Jitni bhi tareef karoonga, kam hi lagti hai mere ko...
Will defiinitely read more of your creations on weekend...
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maa saraswatee ji k aasheerwad swaroop hi hum aise lekhani ko modpate hai jo kisi ka jeewan mod deti hai?y know!
sahaj nahi koi kala nikhar pati bandhu,kala k nikhar ko bhi kalakar chahiye! -----anand sharma.
sakar aaj hai kewal
kal"nirakar hota hai,
kal ka akar bana le
wah kalakar hota hai!!
AAP AAP
HAIN AAP KALAKAR HAI
ANAND SHARMA.......
AAPS K VYVHARO ME,
VISWAS AGAR MAR JATA
TAB PREETI NAHIRAH PATI
JEEVAN NEERAS KAR JATA!!!
######
JINKE RAHE RAM RAKHWARE
GRAH NAKSHTRA BIGARE KYA
HUM TO POORN BRAMH MAI DOOBE
AGE OR WICHRE KYA!
.....ANAND SHARMA..........
Bahut achha Shraddha ji.
Really Too good...matla to sach mein kamaal kar raha hai..
Aap se 2 savaal karne hain mere ko
1) Behar kab tay hota hai, matla likhne ke baad? are there fixed number of beher's
2) I try to write, something other than love, but i always end up in writing on love. Why is it so?
Aapki is poem ki tarah kisi general topic par kyo nahin likh paata hu main?
Will wait for your answer.
बहुत सुंदर रचना .
बधाई
इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/
shradha ji namaskar,
na jaane kitni baar ye gazal main padh chuka hun... iska matala hi itna badhiya aur khubsurat kaha hai aapne ke kya main kahun ... bas sochta rahta hun ..aisa matala... kamaal ka ..fir se aapka aabhar...
arsh
पूरी गज़ल तरासी हुई
मेरे जिंदगी की किताब....
धन्यवाद......
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले
Lajawab rachna hai... its simply superb...
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