वो मुसाफिर किधर गया होगा
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
है, वो हैवान ये माना लेकिन
उसकी जानिब भी डर गया होगा
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
34 comments:
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
-बहुत उम्दा, क्या बात है!
आनन्द आ गया.
मान गये श्रद्धा जी. पर यह गज़ल कुछ सुनी हुई सी लग रही है . माफ करेँ .
Simply speaking Ma'am, I have no words ..... Let me quote even if it means quoting alomst the whole Ghazal :
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
ग़ज़ल कहने की विधा को पूरी तरह निबाहते हुए .... ये ग़ज़ल लाजवाब है. यूं ही लिखा करें .... हर शेर लाजवाब !
dil ko chhoo gayi yah gazal. bahut khoob.
Bahot Khoob.
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
क्या बात है!! बहुत खूब!!
behtareen, hamesha ki tarah,badhai aapko
Bahut khub
bhut khub. jari rhe.
WAH, BAHUT ACHHI GAZAL LIKHI AAPNE.. ACHHA LAGA PADH KAR..
kya baat hai sharadhaji.... kuch likhne ki gutakhi kar rhai hu....
pani mai jalti mumbatti ko dekh ke
aaj to khuda bhi pigal gaya hoga....
बहुत ही उम्दा। और क्या कहें।
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
श्रद्धा जी
बेहतरीन ग़ज़ल...ऐसे ही लिखती रहें.
नीरज
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
Bahut Umda Shraddha jee
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
ye sher bahut pasand aaye......subhan allah.....
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
-बहुत उम्दा
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
waah waah...bahut khoobsurat ghazal hai.
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
है, वो हैवान ये माना लेकिन
उसकी जानिब भी डर गया होगा
बहुत अच्छा लिखा है। बधाई स्वीकारें।
क्या बात है,अच्छा लिखा है ।
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
vah
bahut khoob...kya bat hai.
शुभकामनाएं..........
अच्छी गजल कही है आपने.....
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
" mind blowing, read first time, really great to read it and know about you"
Regards
Acchi Ghazal kahi Dost aapnain ... yeh do sher khas pasand aaye
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
insa allah ..... apki kalam ko nayi rawaaiyaan milti rahain :)
maafi chahunga bade dino ke baad aane ke liye...par abhi online aana kam ho gaya hain...
aapki ghazal achhi lagi...par ye sher sidha hi dil mein utra...
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
"गणपति बब्बा मोरिया अगले बरस फ़िर से आ"
श्री गणेश पर्व की हार्दिक शुभकामनाये .....
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा।
बहुत प्यारा शेर है, मुबारबाद कुबूल फरमाएँ।
kya kahna hai.
kiski mati mari gayi hai k kahe , gazal faltu ki vidha hai.
are janag yahan aakar dekho gazal kise kahte hain
ab tagazzul bhi a raha hai dhere-dheere.
bahut khoob
maza aagaya
yun ise maza aana nahin kahna chahiye kyonki dard se sarabor hai har sher.
क्या मस्त लिखा वाह !
ये अपने दोस्तों के बीच ले जाने की तमन्ना है:) :)
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
आपने 'निराला' की वह कविता जरूर पढ़ी होगी,
'वह तोड़ती पत्थर', फिर मध्यप्रदेश से हैं, तो जरूरी पढ़ी होगी......;;;
उक्त पंक्तियों में निराला जी के अहसास याद आ गये, उनकी कविता का मर्म इन पंक्ितयों में मिलता है। बधाई स्वीकार करें....
आप मेरी रचना पढ़कर हर्षित हुयी यह मुझे प्रसन्नता प्रदान करने वाला तथ्य है आपकी रचनाये दिल को छु लेने वाली हिं बहुत दिनों से आपकी नई रचना प्राप्त नहीं हुयी ....... आपको मेरे ब्लॉग पर पधारने हेतु पुन:: आमंत्रण है
SACH BEHAD MARMBHEDI HAI
मुझे यकीं हैं इस ग़ज़ल को पढने वाला भी ,लम्हे भर को ठहर गया होगा.
बहुत खूब.
srdha ji bhut hi sundar gajal bhavotirokt se bhar gaya ye layne khas kar prvahait karti hai
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
mera prnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
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