Friday, August 15, 2008

आज़ादी का सफ़र


नमस्कार ,
आज हमारे लिए बहुत ही शुभ दिन है , भारत देश अपनी आज़ादी का इकसठ वाँ जन्मदिन मना रहा है.
आज सबके दिलों का जोश देखे तो ऐसा लगता है, जैसे कोई त्योहार हो , ये त्योहार जिसे हर दिल ने मनाया है, चाहे वो मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो या हिंदू हो .
आज इस सफ़र में इतने आगे आने के बाद आए, एक बार पलट कर देखे कि क्या खोया ? क्या पाया ?
पाकर क्या खोया और क्या पाया जा सकता है ?

एक ख्याल यहाँ भी है , ज़रूर देखे

http://saajha-sarokaar.blogspot.com/




वतन की मिट्टी गवाह रहना, तू गवाह रहना
सभी धरम के तेरे बेटे, सबकी ही तू पनाह रहना,
गवाह रहना

"भगतसिंह", "आज़ाद" थे आए करने घर की रखवाली
"गाँधी" जी बात निराली, थामे अहिंसा की डाली
आज़ादी में "बोस" की शामिल, कराह रहना
गवाह रहना

"सारे जहाँ से अच्छा" दिया है, सर "मुहमद इक़बाल" ने
महिमा गाई भारत की, "बॅंकिम", "टेगर" दो नाम ने
जज़्बे रहे सबके ही दिल में, ये चाह रहना
गवाह रहना

26 comments:

सुशील छौक्कर August 15, 2008 at 1:25 PM  

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा। मुबारक हो।

समय चक्र August 15, 2008 at 1:47 PM  

आपको स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई और शुभकामना.

डॉ .अनुराग August 15, 2008 at 1:56 PM  

जय हिंद...

राजीव रंजन प्रसाद August 15, 2008 at 2:52 PM  

वाह!!


स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।


***राजीव रंजन प्रसाद

शोभा August 15, 2008 at 3:04 PM  

सुन्दर अभिव्यक्ति । स्वाधीनता दिवस की बधाई

रंजन गोरखपुरी August 15, 2008 at 3:46 PM  
This comment has been removed by the author.
रंजन गोरखपुरी August 15, 2008 at 3:51 PM  

अज़ादी की सालगिराह पर सभी देश वासियों को हर्दिक बधाई!!!

हिंदी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा!!!

जय़ हिन्द जय़ भारत!!

राज भाटिय़ा August 15, 2008 at 7:07 PM  

आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामना.

अमिताभ मीत August 15, 2008 at 7:57 PM  

बहुत खूब. ये जज़्बा हर भारतीय में कायम रहे. स्वतंत्रता दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं !

दिनेशराय द्विवेदी August 15, 2008 at 7:57 PM  

आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।

Udan Tashtari August 15, 2008 at 8:06 PM  

स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

कुश August 15, 2008 at 9:53 PM  

स्वतंत्रता दिवस के इस पवन पर्व पर सभी ब्लॉगर मित्रो को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

شہروز August 15, 2008 at 9:54 PM  

bahut achcha.
jai hind-jai bharat.

राजीव तनेजा August 15, 2008 at 10:16 PM  

देशभक्ति से ओत-प्रोत रचना पढ कर अच्छा लगा....

आपको भी स्वाधीनता दिवस की बहुत-बहुत बधाई

Dr. Chandra Kumar Jain August 16, 2008 at 12:33 PM  

अच्छी रचना....बधाई आपको
स्वतंत्रता दिवस की.
======================
डा.चन्द्रकुमार जैन

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... August 17, 2008 at 7:11 PM  

wah, atisundar..
JAI HIND..!!

ज़ाकिर हुसैन August 18, 2008 at 4:08 PM  

bahut achcha.
jai hind-jai bharat.

प्रदीप मानोरिया August 18, 2008 at 4:28 PM  

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई आपकी ग़ज़ल रचन बहुत सुंदर हैं हिन्दयुग्म पर आप मेरी आज़ादी विषयक कविता पढ़ सकेंगे : http://merekavimitra.blogspot.com/2008/08/special-kavitayen-on-independence-day.html

36solutions August 19, 2008 at 12:06 PM  

आभार । श्रद्धा जी हमारा अनुरोध है इस ब्‍लाग में फीड सब्‍सक्राइब विजेट लगावें हम ज्‍यादातर पोस्‍ट मेल के द्वारा ही पढ पाते हैं ।

Anonymous August 19, 2008 at 6:11 PM  

वतन की मिट्टी गवाह रहना
Bahut achha laga...

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

admin August 19, 2008 at 6:53 PM  

ये जज्बा भी बहुत कीमती है। ऐ वक्त तो इसका गवाह रहना।

Rakesh Kaushik August 19, 2008 at 7:40 PM  

kya aap ko lagta hai ki in dino bharat vastvikta me azad hai. kya aapko nahi lagta hum aaj bhi gulaam hai.
har taraf aag faili hui hai. sabhi rajnaitik partiyan is aag me apni roti sekne ke alawa kuch nahi kar rahi hai. in partion ke liye apne swarth poorati se badhkar na desh ahi na aam nagrik. or hum bhi inke piche piche jhanda uthaye ghumate hai. pehle khud ko inke changul se chudaenge tabhi hum swatantarta divas ko sahi mayne me mnayaenge. kyonki ye wo desh nahi hai jiski kalpna hmare shaheedo ne ki hti.

jai hind.

rakesh kaushik

pallavi trivedi August 20, 2008 at 2:03 AM  

yahi jazba sabhi hindustaaniyon mein kayam rahe...

विक्रांत बेशर्मा August 24, 2008 at 11:45 PM  

देश भक्ति के इस जज्बे को सलाम !!!!!

नीरज गोस्वामी August 26, 2008 at 4:25 PM  

श्रधा जी
विगत कुछ दिनों से जयपुर गया हुआ था कल ही लौटा हूँ....इस बार प्रण किया था की लैपटॉप का लैप बंद ही रखूँगा उसके दुष्परिणाम स्वरुप आप की अद्भुत रचनाओं का रसपान नहीं कर पाया....अब वापस लौट कर भरपाई कर रहा हूँ और पढ़ते पढ़ते ये भी सोच रहा हूँ की आईन्दा इस प्रकार के मूर्खतापूर्ण प्रण नहीं किया करूँगा...
विलक्षण बिम्बों से सजी आप की ये और पिछली रचनाएँ कमाल की हैं...मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
नीरज

खोरेन्द्र February 2, 2010 at 9:16 PM  

achchha likha hai aapne

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