विश्वास ...
1 week ago
एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल...
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कविता कोश |
Sunday, July 6, 2008मूक हमारे हो संवाद
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Shrddha Jain
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20 comments:
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद
सही है यह .खमोशी की अपनी जुबान होती है जी ..सुंदर लिखा है श्रद्धा जी आपने
किसी भाषा की बात न हो
न हो कोई तब, जातिवाद
n bhasha ki diwaare ho
or n ho jati ka bandhan.
सुंदर सही लिखा है.
जादु कया हे मुझे नही पता, लेकिन आप की कवितो मे कुछ ऎसा ही मसुस हुया, ओर पढता चला गया.अति सुन्दर,
धन्यवाद
रुमानियत से भरपूर आपकी कविता पसन्द आई
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद
क्या बात है. बहुत बढ़िया. ये दो पंक्तियाँ ही काफ़ी हैं. बहुत अच्छी रचना. बधाई.
bahut mithe masum se sundar bhav badhai
देख गया .आपकी काविशों और कोशिशों को देख तबियत खुश हो गयी .
दुआ यही है ,जोर-कलम और ज्यादा .अल्लाह नज़र-बद से बचाए .आमीन.
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद
kya baat hai bahut khoob
onth sile ho aankhen nam ho,mausam bazaa raho saaj, badhiya, nahi bahut badhiya
रूमानी जज्बातों को आपने बहुत ही नफासत से लफजों का जामा पहनाया है। मुबारकबाद।
प्यार में शब्द खामोश हो जाते हैं और खामोशी चारों तरफ गूंज उठती है
बहुत ही शानदार शब्दों में उस खामोशी को आवाज़ दी गयी है इस कविता मैं.
कवियित्री को ढेरों बधाई!
मेरी आँखों से तेरी आँखों तक
प्यार की जब हो गुपचुप बात
होठ सिले हों, आँखें नम हो
मौसम बजा रहा हो साज
ये खामोशी बेहद हसीन है.....
सुंदर रचना.
याद आ गयीं कुछ पंक्तियाँ
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के सिन्धु में बताशा है
मर्म की बात होंठ से न कहो
मौन ही भावना की भाषा है.
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शुभकामनाएँ
डा.चन्द्रकुमार जैन
meri ek shayari yaad aa gayi...
kabhi kabhi zindagi aisi bhi rehti hai,
aankho se khushi ke lehar si behti hai,
koshish na karo har ehsaas jatane ki,
mehsus gar karo to, khamoshi bhi kuchh kehti hai...
स्पर्श तुम्हारा बजे तरंग बन
दूर कहीं जलती हो आग,
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद
bahut pyare ehsaas ...sundar.
दूर कही शहनाई बजे और
बागों में खिल उठे गुलाब
यह तो आदर्श रूमानी माहौल पैदा करती है.
..शुक्र है इसमें कही mobile और mail नहीं है...
होठ सिले हों, आँखें नम हो
मौसम बजा रहा हो साज.....
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद.....
Bahut khoob...kya abhivyakti hai...wah !!!
Bahut shubhkaamnaayein...
आज की कृति पढ़ी. प्रभावी है.
Jab maun ke samvaad ki jhankaar
sunaai padne lagti hai to bas....
Ek kshan tumhaare hi meethe sandarbh ka ,
saara din geet geet ho chala.....
Aapka blog aanand de raha hai ,
Likhti rahiye, Shubhkaamnaayen...
wah khubsurat ahsaas or khubsurat shabd or kya chahiye kisi rachna ko....bahuut sunder shradha ji
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