शूल से शब्द
चुभते शूल से शब्द
किसी फूल से नाज़ुक एहसास को
मुरझा देने पर मज़बूर कर देते हैं
और बाग़ में बचतीं हैं कुछ सूखी सी पत्तियां
और माली सोचता हुआ
कि आखिर साथ साथ चलते हुए
क्यों घायल कर जाते हैं
दो साथी एक दूसरे को,
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
26 comments:
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
Acchha. Pataa nahiiN.
Acchha likha hai.
सच तो है यह।
शुभम।
बहुत अच्छा।
bhut gahari rachana. badhai ho.
aacha likha hai
zindagi ka sabse kadua sach
बहुत बढ़िया.
सांकेतिक शब्दों में जीवन की सच्चाई से रुबरू कराती आपकी कविता अच्छी लगी....लिखते रहें
सीधा वार किया है आपने.. अंतिम दो पंक्तिया लाजवाब है
चुभते शूल से शब्द
किसी फूल से नाज़ुक एहसास को
मुरझा देने पर मज़बूर कर देते हैं
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
सच तो यही है। पर ये सच क्यों?
wah shradhji
behad umda kavita likhi hai
aur bagh main bachti hain kuch sookhi pattiyan
!!!!!!!!!!!
shayad apne astitva ko bachane ke liye
doosre ko ghayal karna aroori tha
!!!!!!!!1
lanes main aapne jin deep feelings ko simple shabdon main zahir kiya hai
uske liye badhi !!!
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
बहुत सही लिखा है आपने श्रद्धा ..अच्छा लगा इसको पढ़ना
संभव है कुछ साहित्य के पंडितों को ग़ज़ल और उसी अन्दाज़े बयाँ में कविता लिखना आपका पसंद न आये .वो आपको खारिज भी कर सकते हैं .लेकिन आप घबराएँ हरगिज़ नहीं .आपके पास विचार है . मोजू है और सब से बड़ी बात वक़्त के नब्ज़ को आप मुकम्मल समग्रता में प्रस्तुत करना जानती हैं .
चुभते शूल से शब्द
किसी फूल से नाज़ुक एहसास को
मुरझा देने पर मज़बूर कर देते हैं
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
pehli baar padha hai aapko..
sachhai..ko badhiya tareeqe se bayaan kiya.
likhte rahe
dastur-e-duniya chand lafzo mein bayan kar diya aap ne...bahot khub...
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था.
बहुत बढ़िया.
Shraddha,
your poem is so deep & impresive In one word I'll say it Awesome.
But I've got an Answer for you
Tell me am I correct or not :-
चाहिए हमको संभालना
इन शूल से शब्दों को
वरना फूल मुरझाते रहेंगे
और शायद कोई माली भी ना हो
सोचने के लिए कि क्या है वजह
फूलों के मुरझाने की
सूखी पत्तियों के रह जाने की
एक दूजे को घायल करने की
मजबूरी मारने-मरने की
स्वार्थ से ऊपर अब उठना होगा
हमें खुद को बदलना होगा
रचना होगा नया समाज
इसीकी हमको जरूरत है आज
....Pranav Pradeep Saxena
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
shayad kabhi aisa karna bhi jaruri hota hai,bahut khub
कमाल का शब्द प्रयोग और एक सार्थक कविता का उद्भव हुआ... सभी रचनाएँ पढीं बेहद सुन्दर हैं सभी!
kuch alag andaaz ki rachna...achchi lagi
एक एक शब्द चुभता हुआ ! धारदार !!
आभार !
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
sachhi baat.....
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
yahi zindagi kadvi sachchaai hai.
बहुत सुंदर लिखा है आपने .
किसी ने ठीक कहा है
चमन को सींचने मैं कुछ पट्टियां झड़ ही गयी होंगी क्या येही इल्जाम लग रहा meri बेवफाई का और जिन्होंने चमन को रौंद डाला वही दावा करते चमन की रहनुमाई का.
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी ......
ek sachae hai.insan mai bhi ye pervarty....aadim vikash ki...awastha ko...bataty hai...
ye vvyhar jungle mai aam hai.
jara gaur karen...
Apne man mai doob kar paaja surage...Jindgi
Tuu agar mera nahi to na ban
Apna to ban
Man ki daulat sood-o-sauda makro fan
Tan ki daulat Sansh hai ,
Aata hai dhan jata hai dhan..
शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था
ye shayad hi jaan le gaya bahut acchi peshkash bahut bhavuk dhayaan dene yogya rachna.
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