कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल
पाँव उनको पकड़ते देखा है
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
83 comments:
bhn shrddhaa ji hm to kdve hen isliyen kidon se surkshit hen lekin aapne rishton kaa flsfaa chnd alfaazon men jis trh se byaaan kiye hen yeh aek ajubaa he or shbdon ki jadugiri bhi, bdhayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
एक तल्ख़ हक़ीक़त बयान करते हुए मतले से शुरु हुई ग़ज़ल अपनी मंज़िलें तय करती हुई जब इस शेर पर आती है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
तो ख़ुद ब ख़ुद इस की ख़ूबसूरती के लिए
वाह वाह !निकल जाता है मुंह से
बधाई !
बहुत अच्छी गज़ल श्रद्धा जी.
"इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है"
यह शेर खास तौर पर पसंद आया.
बहुत अच्छी गज़ल श्रद्धा जी.
"इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है"
यह शेर खास तौर पर पसंद आया.
aapne bahut hi achchhe dhang se waastviktaa ko ujaagar kiyaa hai aajkal yahi ho rahaa hai ,koi bhi bhaai bhaai kaa nahi rahaa doulat ke liye bhaai bhaai kaa khoon kar rahaa hai
jinko paalaa thaa wo hi khoon kar rahe hain unkaa ,ahankaar me doobi unki tasweer bhi vafaa nahin farmaati
aapne bahut hi achchhe dhang se waastviktaa ko ujaagar kiyaa hai aajkal yahi ho rahaa hai ,koi bhi bhaai bhaai kaa nahi rahaa doulat ke liye bhaai bhaai kaa khoon kar rahaa hai
jinko paalaa thaa wo hi khoon kar rahe hain unkaa ,ahankaar me doobi unki tasweer bhi vafaa nahin farmaati
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
बहुत खूबसूरत गज़ल...
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है....
शानदार ग़ज़ल का...
सबसे खूबसूरत शेर.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
kya khub bayan kiya aapne!
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
haan Shraddha jee!! aisa hai kya??
superb! seedhe aur sadhe shabdo me bahut kuch likh diya aapne......
bahut hee badhiyaa..
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
beautiful...!
श्रद्धा जी, आपकी गजलों में कुछ तो है ऐसा जो आपकी रचनाशीलता को आम से खास बनाता है।
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
वाह जी बहुत सुंदर
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल
पाँव उनको पकड़ते देखा है
वाह श्रद्धा जी सीधी सादी ज़बान में गहरी बातें कह जाना कोई आसान काम नहीं होता लेकिन आपने इस मुश्किल काम को कितना आसान बना दिया है...इसे कहते हैं कारीगरी...इस ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कबूल कीजिये...
नीरज
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
सार्थक बात ।
बेहद उम्दा दिल को छूती गज़ल्।
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
किस में इतनी हिम्मत है कि आप को जिद पर अड़ने के लिए मज़बूर करे।
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है।
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
खूबसूरत अशआर हैं।
मेरे ब्लाग का यूआरएल बदल गया है-
आप ने इतनी जल्दी गजल पोस्ट कर दी, केवल ६ दिनों में, घोर आश्चर्य! लगता है लोगों की फरमाइशें पूरी होने के दिन आ गए. गजल पर मुझे कुछ नहीं कहना क्योंकि मुझे इस बात को सोच कर ही उलझन होने लगती है कि किसी अज़ीम फनकार की शान में, बार-बार अल्फाज़ बदल कर तारीफ कैसे की जाए.
इतना अच्छा लिखना, आपको पता नहीं कितने लोगों को को जलन में डाल देता है, मुझे भी.
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
bahut achchha she"r hain yah
hamesha ki tarah ......
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
श्रद्धा जी, बेहद उम्दा ग़ज़ल...बधाई
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
श्रद्धा जी, बेहद उम्दा ग़ज़ल...बधाई
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
...बहुत खूब लिखा आपने..बधाई.
बहुत प्यारी ग़ज़ल...
_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
..जीवन का सच बयान करते इन उम्दा शेरों के लिए बधाई स्वीकार करें.
आपकी पिछली कुछ भी कविताएं पड़ी..बेहतह हैं.....
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
aur
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
ye sher saari ghazal mein sabse behtar hain! bahut achchhi ghazal hai...
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
bahut hee khoobsurat line ...man ko chhoo gayi..
बहुत गहरे भाव, बहुत२ बधाई...
आप की गजलें ब्लॉग जगत में कुछ गिने चुने रचनाकारों की रचनाओं के समक्ष रखी जाने योग्य हैं. एक सुझाव देना चाहता हूँ आपको. गजलों में प्रेम को प्राथमिकता देना बंद कर दें. वर्तमान हालात तथा ज्वलंत समस्याओं को विषय बनाएं. आप की लोकप्रियता बढ़ेगी.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
Waah wah, Lajabab.
SHRDDHA JAIN KEE GAZAL KEE
BHAVABHIVYAKI ATI SAHAJ AUR
SUNDAR HAI.ACHCHHEE GAZAL KAHNE
KE LIYE UNHEN BADHAAEE AUR SHUBH
KAAMNA.
श्रद्धा जी,
अच्छे शेर हुये हैं।
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
सभी शेर अच्छे लगे
सादर
wah......achhi gazal...sadhuwad..
jazbto or khayal ke etbar se bhut khub surat gazal ke liye mubarak bad
आपकी रचना पढ़ कर मन गदगद हो गया।
अति प्रभावकारी अभिव्यक्ति !
-सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
--------------------
bahut sundar..
क्या बात है. क्या अशआर कहें आपने.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है ... ये शेर तो बहुत ख़ास हैं.
बधाई !!!
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है ..
बहुत खूब ... लाजवाब ग़ज़ल है ... नये अंदाज़ के शेर .. तल्ख़ सचाई लिए हुवे .... बेमिसाल ...
आपको पढना हमेशा से ही बहुत पसंद है मुझे...हर शेर बेहद ख़ूबसूरत.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है .
यह शेर खास पसंद आया ...
बहुत खूबसूरत गज़ल ||
बढ़िया बिम्बों का इस्तेमाल है ।
इतनी वहशत जुदाई से , तौबा
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
किसी भी मन में
उठ सकने वाली जज़्बात-ओ-एहसास की रौ
से जान-पहचान करवाता हुआ ये अलग-सा शेर ...
मुझे ज़ाती तौर पर बहुत पसंद आया है
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है ...
काव्या में
प्र्योग्याताम्क्ता की कोई सीमा नहीं है .. !!!
और
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
अच्छा है ...
hamesha ki tarah hi bahut sundar!
hamesha ki tarah hi bahut sundar!
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल, पांव उनको पकड़ते देखा है। ख़ूबसूरत शे"र मुबरक बाद।
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
Apni bebaki aur gahare aatmvishwas ka andaz-e-bayan . Bahut khoob shriddha ji
SHRADHA JI
DERI SE AANE KE LIYE MAAFI ..
IS GAZAL KO MAIN ZINDAGI KI PESHKASH KAHUNGA .. BAS MERE PAAS KOI AUR SHABD NAHI HAI ..
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
badhai aap bahut salike se gazal kahtin hain with regards
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
आपकी ग़ज़ल तो बस पढ़ते-पढ़ते डुबो देती है अपने में फिर उबरने का दिल नहीं करता
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
....बड़ा उम्दा लिखा...बधाई स्वीकारें.
________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
बेहद उम्दा...
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
Kya bat hai shraddha ji bahut hee sunder gazal.
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल
पाँव उनको पकड़ते देखा है
kya baat hai
ab to aap avval darje ki shaira ho gayi hai
daad kubool karen
बहुत अच्छी गज़ल,
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
...... बहुत खूब... ..लचीलापन भी और जिद भी.. अस्तित्व के लिए दोनों का संतुलन जरुरी.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
waaaahhhh
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
बहुत सुन्दर गजल लिखी आपने.... खूबसूरत अभिव्यक्ति.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल
पाँव उनको पकड़ते देखा है
waah..waah..waahh...........
laajwaab she'r...
aur...
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
laajwaab maqtaa....
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
ismein RISHTE ko RISHTA padh rahe hain ham...
aapse maafi sahit...
bahut khoob gazal........
waah waah
bahut hi pyari rachna...
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वैसे तो इस ग़ज़ल पर कमेन्ट सिंगापुर में कर ही दिया था..मगर लिखा-पढ़ी में आज उसे फिर दोहराए दे रहा हूँ....
हमने गुलशन उजड़ते देखा है
भाई-भाई को लड़ते देखा है
सच बात कहने का हौसला दिखने का शुक्रिया....सच तो यही है कोई मने या न माने...!सच्चाई को शेर में पिरोने के लिए बधाई...!
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
बहुत शानदार बिम्व रच दिया श्रद्धा जी....!
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
ओहो तो उन्वान की दस्तक यहाँ से थी....
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
अब मतले का जिक्र आपकी ग़ज़ल में न हो...नामुमकिन...! मक्ता ता मतला ग़ज़ल सुन्दर है....!
AAPKE BLOG PAR PAHLI BAAR AAYA HOON,MAIN BHI LIKHA KARTA HOON,AAP JAISA NAHI LIKHTA,MGR KOSHISH KAR RAHA HOON,,,
SAMAY MILE TO JARUR PADHIYEGA,,,,,
BHARAT SINGH CHARAN nadaanummidien.blogspot.com ki taraf se
nice and visit my blog one time, name is :www.onlylove-love.blogspot.com
बढ़िया ग़ज़ल कम शब्दों में, सपाट शब्दों में..........
बधाई तहे दिल से
चन्द्र मोहन गुप्त
कल पवन जी का सिंगापुर यात्रा-वृतांत पढ़ रहा था तो आपसे मुलाकात हुई...मन मसोस कर रह गया कि हमारी इस ग़ज़ल-साम्राग्यी से कब मुलाकात होगी!
"इतनी वहशत जुदाई से तौबा/ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है"...अद्भुत शेर मैम...अद्भुत। और मक्ते का अंदाज भी खूब भाया।
श्रद्धा जी का ग़ज़ल-संकलन कब निकलेगा? हम बेताब हो रहे हैं अब तो....
श्रृद्धा जैन.जी आप की ग़ज़ल संवेदना पूर्ण है आप को हार्दिक बधाई.
आनंद आ गया
बहुत अच्छी गज़ल धन्यवाद.
bahoot khoob ,akhileshpal
अब तो गर्दन बचाना है मुश्किल
पाँव उनको पकड़ते देखा है
बहुत खूबसूरत गज़ल...
इतनी वहशत जुदाई से 'तौबा'
ख़्वाब तक में बिछड़ते देखा है
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
bahut badhiya.shubhkamnayen.
एक बस दिल की बात सुनने में
हमने रिश्ते बिगड़ते देखा है
Bahut khoob
गजल पसंद आई..
Bahut sundar gajal..bahut-2 badhai..
हार दुनिया ने मान ली "श्रद्धा"
जब तुझे जिद पे अड़ते देखा है
बहुत अच्छी गज़ल श्रद्धा जी.
Bojh Nazdikiyan Na Ban Jaye,
Kida mithe me padte dekha he..
Umda sher
Gazal bahut acchi lagi.
Aapka naya follower,
Ek din achanak aapka blog samne aa gya.
Padhker bahut accha lga to aapse jud gaye..
Mene b ek blog shuru kiya he jis per meri rachnaye he kabhi fursat mile to aapke do kimti pal hmare blog ko bhi dijiyega..
KARIM PATHAN Anmol
Sanchore(Jalore)
Rajasthan
shraddha ji aapne chand alfazon mei dher sari bat kah di. mouzuda dour ki kadvi sachchai ko itni asani se kah dena to koi aapse sikhe. behtarin gazal ke liye aapko dher saari badhai.
Dharmendra Singh Karn.
बोझ नजदीकियाँ न बन जाएँ
कीड़ा मीठे में पड़ते देखा है
बेहतरीन ....
good one.
बहुत अच्छी गज़ल है श्रद्धा जी
aapne bahut hi achchhe dhang se waastviktaa ko ujaagar kiyaa hai aajkal yahi ho rahaa hai ,koi bhi bhaai bhaai kaa nahi rahaa doulat ke liye bhaai bhaai kaa khoon kar rahaa hai jinko paalaa thaa wo hi khoon kar rahe hain unkaa ,ahankaar me doobi unki tasweer bhi vafaa nahin farmaati
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