मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
जब कभी मुझको गम-ए-यार से फुर्सत होगी
मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
तरावत= ताज़गी
भुखमरी, क़ैद, गरीबी कभी तन्हाई, घुटन
सच की इससे भी जियादा कहाँ कीमत होगी
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी
नाज़ सूरत पे, कभी धन पे, कभी रुतबे पर
ख़त्म कब लोगों की आखिर ये जहालत होगी
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
57 comments:
Bahut achchhee gazal , khaskar ye sher bahut pasand aaya ...
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
आदरणीय श्रद्धा जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
वाह !! बहुत खुबसूरत शेर ...
मज़ा आ गया , शानदार गज़ल ||
वाह !! बहुत खुबसूरत शानदार गज़ल ||
वाह वाह वाह, एक और शानदार ग़ज़ल, मगर ये शे’र भरती का है।
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
Aapki lagbhag har gazal meine padi h. Ap hmaesha hi umda likhti h.
Isme bhukhmari aur kokh bala part kuch jyada pasand aya.
वाह! क्या बात है! बेहतरीन ग़ज़ल!
आदरणीय श्रद्धा जी
नमस्कार !
दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
वाह !! बहुत खुबसूरत
मज़ा आ गया ,
शानदार गज़ल ||
bahut hi sundar gazal...
बहुत खुबसूरत रचना, धन्यवाद
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
*
बहुत बड़ी बात कह दी आपने इसमें। यही हकीकत है।
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...इस काफिये पर ग़ज़ल कहना हुनरमंदी का काम है और ने क्या खूब कर दिखाया है...हर शेर लाजवाब है...दाद कबूल करें...
नीरज
bahut khubsurat
khoobsurati ki paraakaashtha ko chhoti aapki gazal bahut achhi lagi.
बहुत बड़ी बात कह दी आपने इसमें। यही हकीकत है।
धन्यवाद|
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी...
बहुत उम्दा रचना-उम्दा सन्देश,बधाई.
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
बहुत लाजवाब ग़ज़ल है हर शेर दाद के काबिल.ऐसा लगता है की दिल दिमाग सब कुछ उड़ेल दिया है दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
एक ताज़गी भरी ग़ज़ल आपकी लेखनी से ,
बहुत अच्छी लगी !
क्या कहें शब्द हीं नहीं मिल रहे। क्या गजल है, एक एक शेर जैसे दिल में उतर जांय। बेटियों को मारने वाली बात सच में सच ही है कि कयामत होगींे.
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
kamal ki baat kahi aapne.
gazal bahut pasand aayi.
zindabad
जब कभी मुझको गम-ए-यार से फुर्सत होगी
मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
aapki gajal me sach me ek tajgi hoti hai...shraddha jee...:)
bahut dino se aapka koi post nahi dikha...lekin fir se wahi tajgi..:)
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
उपर वाले से यही दुआ है कि आपकी गजलों की तरावत हमेशा बनी रहे।
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
श्रृद्धा जी , बहुत अच्छा लिख रहीं हैं आप ! अशआर में संजीदगी , कहन और बुनावट का सामंजस्य इतना बेहतरीन है कि हर शेर लाज़वाब बन पड़ा है ! बहुत खूब ! समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा !
सादर !
बहोत खुब श्र्ध्धाजी वाकेयी सुंदर रचना....
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी....
.....वाह बहोत ही उमदा....
खुबसूरत शानदार गज़ल
bahut sundar.....
आपका ब्लॉग भी बहुत खूबसूरत है और आपकी गज़ल में व्यक्त भावनाएं भी.
आपने बहुत खूब कहा है-
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी.
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी ...
Bahut khoob ... kamaal ke sher kahe hain aapne ... Shandaar gazal ...
"आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी"
...अहा! लाजवाब शेर!!
आदरणीया श्रद्धा जैन जी सादर प्रणाम |अद्भुत और खूबसूरत अहसास से भरी एक तरोताजा ग़ज़ल पढ़ने को मिली |आपको बहुत बहुत बधाई |
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
आपकी गज़लों पर कुछ कहने के लिये मेरे पास शब्द नही होते। लाजवाब गज़ल। बधाई।
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
बेहद शानदार अशआर.....
बहुत खूब कहा है आपने ...।
साथ ढलना वक़्त के तो जिंदगी होती नहीं.
वक़्त को जो साथ अपने ढाल ले, वो ज़िंदगी.::))
first visit to your blog..
अच्छी ग़ज़ल है श्रद्धा जी ये शेर भी अच्छा लगा
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
यहाँ दूसरे मिसरे में ’भी’ की जगह ’तो’ रखें तो अधिक सार्थक होग क्योंकि पहले मिसरे में मगर का प्रयोग किया गया है।
सादर
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
shraddha ji, ek arse ke baad aap ko padh paya hu...bahut khoobsurat aur kamyab gazal..aur ye sher to bas ye maniye aapne kahne me zaldi kar di ya shayad maine der lagaa di...bahut bahut sundar
बहुत उम्दा ग़ज़ल.
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
बहुत खूब.
आपकी कलम को सलाम.
हर शेर अपने आप में बेजोड़ है लेकिन ये दो शेर ऐसे लगे जैसे खूबसूरत चेहरे के दो झील से आँखें
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
नाज़ सूरत पे, कभी धन पे, कभी रुतबे पर
ख़त्म कब लोगों की आखिर ये जहालत होगी
“बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी”
श्रद्धा जी, आपकी गज़लों को पढ़ कर आनंद आया...गहरे सामाजिक और जीवन के सरोकारों से जुडी ग़ज़लें हैं आपकी. पहले भी पवन जी से आपके लेखन की चर्चा सुनी थी, पढकर वाकई बहुत अच्छा लगा. आपके लेखन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ.
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
-वाह!! एक से एक चुनिंदा शेर निकाले हैं, बधाई.
बेटियों के ही तो दम से है.........
.........In panktiyon me maarmik chitran ka sundar smavesh kiya hai. bhaaw pachh kafi prachurta me bhra hai....hridya prasn huaa aapki achhi gjal padkar....shubhkamnaoo shit.....
कमाल है श्रधा जी
लिखती रहिएगा
हम पढते रहेंगे
सादर
प्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी
a very powerful writing from you..
please continue writing.
उम्दा ग़ज़ल श्रद्धा जी |
हर शेर लाजबाब, मन प्रसन्न हो गया |
वाह वाह वाह, सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर,
Vivek Jain vivj2000.blogspot.com
bahut khoob. achchha kaha hai.
bahut khoob. achchha kaha hai.
श्रद्धा जी,
बहुत भावुक रचना ....बहुत बहुत बधाई हो!
आशु
श्रद्धा जी
बहुत नाशुक्रा हूँ......मुआफी चाहता हूँ, सिंगापुर मुलाकात के बाद न तो आपके ब्लॉग पर आ सका और न ही फोन कर सका. जल्दी ही गलती सुधारूँगा. प्रशांत जी से हमारा नमस्कार बोलियेगा... दरअसल आपका मोबायल न. ही गम हो गया. बहरहाल ये ग़ज़ल बहुत प्यारी है......मतला ता मक्ता हर शेर लाजवाब...... किस किस पर दाद दूं..... !!!!!
जब कभी मुझको गम-ए-यार से फुर्सत होगी
मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
भुखमरी, क़ैद, गरीबी कभी तन्हाई, घुटन
सच की इससे भी जियादा कहाँ कीमत होगी
नए तेवर हैं इस बार आपके.........!!!!!
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
नाज़ुक शेर........!!!
वक्त का इंतजार क्यों करना, जैसे ही आग लगे आदमी को बदल जाना चाहिये....जिसने जलाई है उसे ही बुझाना चाहिये।
सच..बहुत ही सुंदर रचना है
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी
...bahut hi sundar gajal...
नाज़ सूरत पे, कभी धन पे, कभी रुतबे पर
ख़त्म कब लोगों की आखिर ये जहालत होगी
बहुत जरूरी शे'र ..
मतला खूबसूरत बना है..
मगर अपने मिजाज़ से हटकर ..
:)
जब कभी मुझको गम-ए-यार से फुर्सत होगी
मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
बकौल जिगर –दिल गया रौनके हयात गयी –ग़म गया सारी कायनात गयी
और इसलिये ये शेर नया है कि --- परम्परागत शेर होता -- जब कभी मेरी गम-ए-यार से निस्बत होगी
मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
तुमने नया और अच्छा शेर कहा !!
धूप-बारिश से बचा लेगा बड़ा पेड़ मगर
नन्हे पौधों को पनपने में भी दिक्क़त होगी
A dominating authority is a question for potential growth of others –correct !!
बेटियों के ही तो दम से है ये दुनिया कायम
कोख में इनको जो मारा तो क़यामत होगी—bahut achchhaa sher
आज होंठों पे मेरे खुल के हंसी आई है
मुझको मालूम है उसको बड़ी हैरत होगी haasile gazal sher hai
जुगनुओं को भी निगाहों में बसाए रखना
काली रातों में उजालों की ज़रूरत होगी
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता // हज़ारों जुगनुओं से भी अन्धेरा कम नहीं होता –बशीर बद्र –सवाल ये है कि क्या जुगनू उजाला दे सकते हैं ??!! काली रातों में उजालों की हिमायत होगी !!! himaayat –protection safeguarding ,
वक़्त के साथ अगर ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा'
ज़िंदगी कुछ नहीं बस एक मुसीबत होगी—अच्छा शेर !!
Kaamayaab gazal kahi hai !!!
Bahut achi ghazal kahi aapne.
Mere ghazalon ke blog
www.utkarsh-meyar.blogspot.com par aapka swagat hai.
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