tag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post6695077267016779173..comments2023-09-19T16:27:01.069+08:00Comments on भीगी ग़ज़ल: फूल, ख़ुशबू, चाँद, जुगनू और सितारे आ गएश्रद्धा जैनhttp://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-52557007054412608782010-04-23T22:34:38.260+08:002010-04-23T22:34:38.260+08:00रूह को आदाब दिल के, थे सिखाने पर तुले
पर उसे तो ज़...रूह को आदाब दिल के, थे सिखाने पर तुले<br />पर उसे तो ज़िस्म वाले सब इशारे आ गए<br /><br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br /><br />बेहतरीन शेरप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-85635064048261766302010-04-20T20:47:38.116+08:002010-04-20T20:47:38.116+08:00bahut khubsuratbahut khubsuratsalonihttps://www.blogger.com/profile/03356957895174091960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-1835957739535840652010-04-20T13:54:42.970+08:002010-04-20T13:54:42.970+08:00निहायत खूबसूरत ग़ज़ल !निहायत खूबसूरत ग़ज़ल !Dinesh Dadhichihttps://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-32322916409097567532010-04-19T15:29:29.666+08:002010-04-19T15:29:29.666+08:00श्रद्धा मैम.....
अच्छे मतले पर लिखी गयी ग़ज़ल........श्रद्धा मैम.....<br />अच्छे मतले पर लिखी गयी ग़ज़ल.......शेर भी खूब बन पड़े हैं......!<br /><br />रूह को आदाब दिल के, थे सिखाने पर तुले<br />पर उसे तो ज़िस्म वाले सब इशारे आ गए <br />वाह वाह.......!<br /><br />आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये<br />क्या तअज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए<br />क्या विम्ब खींचा है आपने......!<br /><br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br />बहुत अच्छे......!<br />कुछ इसी ख्याल को मैंने भी अपनी लास्ट ग़ज़ल में परोसा था शायद शेर पसंद आया हो.....(काट डाला उसी पेड़ को एक दिन, उम्र भर जिसके साए में सोते रहे.......!)SINGHSADANhttps://www.blogger.com/profile/11388968142103925510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-69243612541020966192010-04-19T13:29:28.285+08:002010-04-19T13:29:28.285+08:00हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं
हाथ में पत्...हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं<br />हाथ में पत्थर लिए जब लोग सारे आ गए<br /><br />बहुत खूब ......!!<br /><br />ये मज़ेदार कही आपने .....मुहब्बत हो तो ऐसी .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-86103971905942564372010-04-19T03:42:36.708+08:002010-04-19T03:42:36.708+08:00खुद -ब खुद उनका अफसानों मे आ जाना !!!!! कितना अज़ी...खुद -ब खुद उनका अफसानों मे आ जाना !!!!! कितना अज़ीज़ और कितना लज़ीज़ है ???सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-72497483136982779842010-04-18T03:59:58.898+08:002010-04-18T03:59:58.898+08:00आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने ये फसल
क्या ताज्...आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने ये फसल<br />क्या ताज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए<br /><br />लाज़वाब शेर । वैसे तो आपके हर शेर मे गहराई है, और हर शेर उम्दा । बधाई स्वीकारे ।dipayanhttps://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-33575546548786491992010-04-16T20:16:01.898+08:002010-04-16T20:16:01.898+08:00आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये
क्या तअज...आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये<br />क्या तअज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए<br /><br />बहुत ही उम्दा अशआर है , मन को छुने वाली पंक्तिया | आप को साधुवादऋषिकेश खोडके रुहhttps://www.blogger.com/profile/02023640875553892135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-91384885182083791692010-04-16T20:11:45.723+08:002010-04-16T20:11:45.723+08:00आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये
क्या तअज...आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये<br />क्या तअज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए<br /><br />बहुत ही उम्दा अशआर है , मन को छुने वाली पंक्तिया | आप को साधुवादऋषिकेश खोडके रुहhttps://www.blogger.com/profile/02023640875553892135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-43034128287651559562010-04-16T17:08:32.065+08:002010-04-16T17:08:32.065+08:00श्रद्धा जी,
एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई, मिसरे से ल...श्रद्धा जी,<br />एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई, मिसरे से लेके मखते तक हर शेर लाजवाब है.<br />मतला शुरुआत से ही समां बाँध दे रहा है, इस शेर के क्या कहने......<br /><br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गएAnkithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-84709651627975611262010-04-16T10:55:32.993+08:002010-04-16T10:55:32.993+08:00श्रद्धा जी,
आपकी सभी ग़ज़लें और सभी शेर इतने अच्छे...श्रद्धा जी,<br />आपकी सभी ग़ज़लें और सभी शेर इतने अच्छे हैं की किसी एक शेर या ग़ज़ल की तारीफ बाकि ग़ज़लों के साथ ज्यादती होगी.<br /><br />बहुत सुंदर. एक से बढ़ कर एक!<br /><br />-राजीव भरोलAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-8777220939100141702010-04-16T00:45:30.427+08:002010-04-16T00:45:30.427+08:00हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं
हाथ में पत...हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं <br />हाथ में पत्थर लिए जब लोग सारे आ गए<br /><br />जी....<br />ऐसा शानदार शेर...आपकी क़लम के नसीब में ही हो सकता है <br />और...वो "आरे" का इस्तेमाल.....तौबा <br />कभी कहीं देखा ना सुना<br /><br />सोचता हूँ....कह दूं ...<br />बता ये हुनर तूने.....सीखा कहाँ से....<br /><br />मुबारकबाद .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-22978572965686258692010-04-16T00:42:25.486+08:002010-04-16T00:42:25.486+08:00दूसरे तरीके से मैं ग़ज़ल को तब कामयाब मानता हूँ , ...दूसरे तरीके से मैं ग़ज़ल को तब कामयाब मानता हूँ , जब आपकी ग़ज़लों के बारे में कोई दूसरा बात करे किसी तीसरे से ( आपस में चर्चा ) ! या तो फिर आप अपने ग़ज़ल में कुछ ऐसे अश'आर तो कहें के जिसे लोग पसंद करें , और यहाँ ये दोनों बातें हुई .! बहुत देर तक मैं श्रधेय सरवत जी से आपकी ग़ज़ल के बारे में चर्चा करता रहा ... और दूसरी बात ये के शे'र कामयाब निकले हैं..<br />पुख्तगी है मिसरों में ... और इसी बहाने उनसे कुछ सिख भी लिया ... <br />मेरे गुरु देव कहते हैं कहन का बहुत बड़ा हाथ होता है ग़ज़ल की कामयाबी में ... <br />यहाँ वो बात परिलक्षित हो रही है ....<br /><br />और सरवत जी ने अपनी टिपण्णी में जो आखिरी लाइन लिखा है उससे रश्क हो रहा है मुझे सखी <br /><br />खुबसूरत अहसासात वाला मिसरा जमानत है इस ग़ज़ल के लिए...<br /><br />आपका <br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-17864202682632138602010-04-15T18:50:12.151+08:002010-04-15T18:50:12.151+08:00उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे
पेड़ बूढ़ा...उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br /><br />श्रद्धा जी ,<br />बहुत उम्दा शेर है,मानी के ऐतबार से ख़ास तौर पर,<br /> <br />फूल, ख़ुशबू, चाँद, जुगनू और सितारे आ गए <br />खुद-ब-खुद ग़ज़लों में अफ़साने तुम्हारे आ गए <br /><br />इस शेर में ’ख़ुद ब ख़ुद’का इस्तेमाल शेर में जान डाल देता है,<br /><br />बहुत ख़ूब!इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-83469700855652959262010-04-15T17:26:30.639+08:002010-04-15T17:26:30.639+08:00आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये
क्या ता...आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल ये<br />क्या ताज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए<br /><br />हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं <br />हाथ में पत्थर लिए जब लोग सारे आ गए<br /><br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br /><br />उफ़ लाजबाब :) ग़ज़ल दर ग़ज़ल आपके सोच की गहराई बढती ही जाती है, इसे यू ही बनाये रखें |संत शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12067692021413627284noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-89434279857024989462010-04-15T11:42:42.967+08:002010-04-15T11:42:42.967+08:00उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे
पेड़ बूढ़ा...उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए..<br />Achook!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-55669914970436630812010-04-15T11:29:57.376+08:002010-04-15T11:29:57.376+08:00............वे ले के आरे आ गये - बेजोड़ ।............वे ले के आरे आ गये - बेजोड़ ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-61819894219668908802010-04-15T01:16:05.669+08:002010-04-15T01:16:05.669+08:00श्रद्धा जी,
उम्दा ग़ज़ल!
रूह को आदाब दिल के, थे सिख...श्रद्धा जी,<br />उम्दा ग़ज़ल!<br />रूह को आदाब दिल के, थे सिखाने पर तुले<br />पर उसे तो ज़िस्म वाले सब इशारे आ गए <br />हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं<br />हाथ में पत्थर लिए जब लोग सारे आ गए<br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br /><br />ये अश’आर खास तौर पर पसन्द आये। गज़लों पर आपकी रवानी दिनोदिन बढ़ती जा रही है।<br />सादरअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-3613753279778323482010-04-14T17:54:44.798+08:002010-04-14T17:54:44.798+08:00इतनी जानदार-शानदार गजल देखकर हीं भावना का शिकार तो...इतनी जानदार-शानदार गजल देखकर हीं भावना का शिकार तो होना ही था. किस-किस शेर की तारीफ करूं और किसे छोड़ दूं, यह जब समझ में नहीं घुसा तो कमेन्ट बॉक्स का रुख किया. आधा घन्टा तो यह सोचने में लग गया कि कहना क्या है. अंत में यही तय किया कि सच बोलो. किसी ने कहा है----<br />"हम मोत्किदे मेरे नहीं हैं, कहता मुआफ <br />ऐसी भी क्या गजल जो कलेजा निकल दे".<br />मैं भी यही कह रहा हूँ कि जिस गजल से हम जैसे जल भुन कर खाक हो जाएँ, फिर उसकी तारीफ किस मुंह से करें. अब आप उस्तादों की सफ में बैठ चुकी हैं, बधाई.<br />मैं अपनी कुछ रचनाएँ संशोधन के लिए भेजूं क्या?सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-84790947921696000582010-04-14T15:07:19.135+08:002010-04-14T15:07:19.135+08:00bahoot khoobbahoot khoobAkhilesh pal bloghttps://www.blogger.com/profile/06176388027572233336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-31805883968407523452010-04-14T12:43:43.804+08:002010-04-14T12:43:43.804+08:00फूल, ख़ुशबू, चाँद, जुगनू और सितारे आ गए
खुद-ब-खुद ...फूल, ख़ुशबू, चाँद, जुगनू और सितारे आ गए<br />खुद-ब-खुद गजलों में अफ़साने तुम्हारे आ <br /><br />वाह...क्या मतला है...<br /><br />हर शेर लाजवाब .... बहुत खूब !!<br />मज़ा आ गया ....पढ़कर....Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank)https://www.blogger.com/profile/14269190208303983206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-22862833850444404232010-04-14T10:57:50.206+08:002010-04-14T10:57:50.206+08:00आहा ,क्या खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है
फूल, ख़ुशबू, चाँ...आहा ,क्या खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है <br />फूल, ख़ुशबू, चाँद, जुगनू और सितारे आ गए ....<br />खुशबुएँ आने लगती हैं तो हमेशा की तरह हाथों में पत्थर भी आ जाते हैं ..और जैसे कोई नींद से जगा हो ...<br />हम आपके लिंक को जज्बात के साइड-बार से चुराए लिए जा रहे हैं |शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-70245899564409737182010-04-14T10:32:36.282+08:002010-04-14T10:32:36.282+08:00आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने ये फसल
क्या ताज्...आंसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने ये फसल<br />क्या ताज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए...<br /><br />Really very nice.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08702472427163730575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-82600442428214547682010-04-14T00:48:48.619+08:002010-04-14T00:48:48.619+08:00हमको तब अपनी मुहब्बत पर हुआ जाकर यकीं
हाथ में पत्...हमको तब अपनी मुहब्बत पर हुआ जाकर यकीं <br />हाथ में पत्थर लिए जब लोग सारे आ गए<br />Vaah .. kya andaaz hai kahne ka ... vo muhabbat hi kya jo badnaam na ho .. lajawaab ...<br /><br />उम्र भर फल-फूल ले, जो छाँव में पलते रहे<br />पेड़ बूढ़ा हो गया, वो लेके आरे आ गए<br />ye hakeekat bayaan ki hai aapne sansaar ki .. aaj ki reet yahi hai .. ghar ghar ki yahi kahaani hoti ja rahi hai ...<br /><br />aapki gazlon mein yathaarth ki khushboo lipti huyi hai .. jo ise aur bhi nikhaar deti hai ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7295072338752071739.post-9269785338712557022010-04-14T00:26:41.491+08:002010-04-14T00:26:41.491+08:00वाह। वैशक दिनों के बाद आती है पर गजल बेहतरीन लाती ...वाह। वैशक दिनों के बाद आती है पर गजल बेहतरीन लाती है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.com