तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
हर बुलंदी पर है तन्हाई बहुत
सख्त मुश्किल है सिकंदर देखना
शाख से टूटा हुआ पत्ता हूँ मैं
देखना मेरा मुक़द्दर देखना
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
52 comments:
... behatreen gajal !!!
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
बहुत ख़ूब!
अच्छी ग़ज़ल !
5/10
न जाने क्यों ग़ज़ल सही होते हुए भी दिल में ठहर नहीं रही लेकिन यह शेर बार-बार अपनी तरफ खींच रहा है :
"झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना"
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना |
waah waah.
हम तो आपके इस शेर पर फिदा हैं-
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
श्रद्धा जी ,
९ / १०
अदभुत गज़ल है इसे कम नंबर देना निरी मूर्खता है !
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी वास्तव में अत्यधिक दुबले पतले मरियल से दिखते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी अपने असली ब्लॉग में बिजनेसमैन बने हुए हैं ?
क्या आप जानते है कि उस्ताद जी के सच्चे नाम से लाईट का क्या सम्बन्ध है ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी के असली ब्लॉग में उनका साइड पोज वाला फोटो लगा है ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी कानों के ऊपर बालों वाला फोटो बहुत पसंद करते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी मोहल्ला होशियारपुर ग्राम लखनऊ में रहते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी बोध कथाओं को हास्य कथा मानते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी अपने फर्जी ब्लॉग में माडरेशन लगाये हुए हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी का गोविन्द से क्या सम्बन्ध है ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी पहेलियाँ किस नाम से बूझते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी फर्जी आई डी क्यों बनाये हुए हैं ?
ग़ज़ल तो बहुत अच्छी है, मगर मुझे कुछ बासी बासी सा लग रहा है। आपकी ग़ज़लों को पढ़कर अब ऐसा लगता है जैसे एक ही बात को बार बार घुमा फिराकर कह रही हों। ताज़गी का अभाव सा लगने लगा है अब आपकी ग़ज़लों में।
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना |
अच्छी ग़ज़ल !
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
वाह! बेहद खूबसूरत भाव!
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
प्रेमरस.कॉम
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
बहुत ही सुन्दर ! बेहतरीन !
अपनी आदत अपने अन्दर देखना देखना ख़ुद को निरन्तर देखना बहुत ख़ूब!
शाख से टूटा हुआ पत्ता हूँ मैं
देखना मेरा मुक़द्दर देखना
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
बहुत कमाल की ग़ज़ल है ... हर शेर दिल में उतरता हुवा ... बहुत लजवाब ... सुभान अल्ला ....
---शानदार गज़ल....
badhiya ,har kisi ko koee n koee sher to click kiya hi hai ..yani achchha laga hai .
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
badhiya baat kahi
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
kamaal hai!
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
बेहद प्रभावी.... हकीकत परक पंक्तियाँ
बहुत ही बढ़िया गज़ल..
मतला बेहद अच्छा है."कबूतर" और "साहिल" वाले शेर खास तौर पर पसंद आये..
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!श्रद्धा जी लाजवाब गज़ल और ये शेर तो कमाल हैं। आपकी गज़ल पढने को बेताब रहती हूँ मगर मेरी ब्लाग लिस्ट डिलीट हो गयी थी दोबारा बनाई तो शायद आपका ब्लाग रह गया। आज ही इसे ब्लागलिस्ट मे डालती हूँ।बधाई इस गज़ल के लिये।
अहा
क्या बात है
नेटकास्टिंग:प्रयोग
लाईव-नेटकास्टिंग
Editorials
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
sach me behatreen....waise bhi aapki likhi gajlo ka koi shumar nahi...:)
बहुत ढेर से, अच्छे-अच्छे अशआर से रची-बसी यह ग़ज़ल तबीयत बाग़-बाग़ कर गयी. लेखन पर आपकी पकड़ दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है. आपकी लम्बी अनुपस्थितियाँ खल जाती हैं. लोगों के कमेंट्स को ध्यान से पढ़ें, विशेषतया आलोचनात्मक टिप्पणियाँ-
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
शांति के प्रतिक कबूतर को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया !
बेहतरीन अभिव्यक्ति...................
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
http://saaransh-ek-ant.blogspot.com
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
अलग सा लगा ये शेर..
"अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना"
और
"मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!"
क्या बात है!अति सुन्दर !!!साबित हुआ,गागर में सागर समेटा जा सकता है.
काफी उम्दा ग़ज़ल !
देर-ओ-हरम में कर आये बहुत अब सरकलम
अब तो केवल पशुओं की जिंदगी से सीखना !
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
बहुत सुंदर गजल....
acchi ghazal hai :)
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
ye do sher bohot khoobsurat lage :)
good to read you..
सभी शेर एक से बढ़कर एक. किसकी तारीफ करूं किसकी छोडूँ समझ में नहीं आ रहा है. वाह श्रद्धा जी वाह.आप बक़ायदे अरूज़ का ध्यान रखते हुए ग़ज़ल कहती है ,ये खास तौर पर अच्छा लगा.
फिर नयी उम्मीद है उम्मीद से
कह रहा है उसका आ कर देखना .........
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना खुद को निरंतर देखना
xx
बिलकुल सच ....लाजबाब गजल ...शुक्रिया
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
वाह-वा, बहुत उम्दा शेर है.
आप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं....बधाई.
'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.
behd hi sundar abhivykti
regards
aap gazlon ke contents men thoda vistaar karen. yh thiik hai ki aap ki gazlon men sab kuchh maujood hai lekin wartmaan ko nazar men rakhte huye sher aapki pratibha ko nikharenge, aapko shohrat bhi denge.
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
हर एक शेर लाजवाब। बधाई आपको।
हर बुलंदी पर है तन्हाई बहुत
सख्त मुश्किल है सिकंदर देखना
exceelent sher
अपनी आदत, अपने अन्दर देखना
देखना, खुद को निरंतर देखना
आत्म-विश्लेषण के महत्त्व को दर्शाता हुआ
बहुत ही उम्दा शेर कहा है आपने ...वाह !
पूरी ग़ज़ल
मन को लुभाने में कामयाब बन पडी है
sabse achi gazal lagi aapki mujhe...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
श्रद्धा जी ,
ग़ज़ल के मतले ने ही ग़ज़ल के तेवर दिखा दिया,
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
वाह, हर एक शेर लाजवाब हैं ,पूरी मुक्कमल ग़ज़ल है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
Merry Christmas
hope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
waah..ek ek sher..misra..behtreen hua hai...kamaal ki gazal hui hai..bahut saari daad kabool karen..
मैंने पूरा ब्लॉग देखा है . बहुत अच्छा लगा है. .....भीगी नाम क्यों दिया की जो देखे उसकी भी आँख नाम हो जाए ......क्षेत्रपाल शर्मा , शान्तिपुरम, सासनी गेट , अलीगड २०२००१
श्रद्धा जी आपकी गहरी सोच को सामने लती हुई एक और ग़ज़ल| इस शेर ने तो झकझोर दिया
झूठ-सच का फैसला लेना हो जब
चीखता है कौन अन्दर देखना
-- Mayank
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
सूख जाएगा समुन्दर देखना
बहुत तरीके से कहा गया मतला...
खून जिनका धर्म और ईमान है
उनके छज्जे पर कबूतर देखना
कबूतर जैसे मासूम को कातिल के छज्जे पर दिखाने का अंदाज़ बहुत पसंद आया श्रद्धा जी..
मेरा और साहिल का रिश्ता है अजब
दोनों के रस्ते में पत्थर, देख ना!
अपना सा शे'र...
और इसमें देखना को देख ना देखकर बहुत अच्छा लग रहा है...
उसी तरह है अभी तिश्नगी इन आँखों में !
में इनकी प्यास बुझालूं तो फिर चले जाना !!
कसम खुदा की में पीकर बहक नही सकता !
मगर जो जाम उछालूँ तो फिर चले जाना !!
ये गुफ्तगू थी सितारों की तुम ना आओगे !
में इनकी शम्मे बुझादू तो फिर चले जाना !!
उसी तरह है अभी तिश्नगी इन आँखों में !
में इनकी प्यास बुझालूं तो फिर चले जाना !!
कसम खुदा की में पीकर बहक नही सकता !
मगर जो जाम उछालूँ तो फिर चले जाना !!
ये गुफ्तगू थी सितारों की तुम ना आओगे !
में इनकी शम्मे बुझादू तो फिर चले जाना !!
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